#NewsBytesExplainer: अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन की खरीद सवालों के घेरे में क्यों है?
क्या है खबर?
कांग्रेस ने अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार पर ज्यादा कीमत में ड्रोन खरीदने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सौदे में नियमों का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने दावा किया कि बाकी देश भारत से 4 गुना कम कीमत में ये ड्रोन खरीद रहे हैं।
आइए समझते हैं कि ड्रोन को लेकर ये पूरा विवाद क्या है।
समझौता
ड्रोन को लेकर क्या समझौता हुआ है?
भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान के मुताबिक, भारत अमेरिका की जनरल एटॉमिक्स (GE) से MQ-9 रीपर ड्रोन खरीदेगा।
ये ड्रोन भारत में असेंबल किए जाएंगे और इन्हें बनाने वाली GE भारत में इनकी मेंटेनेंस, रिपेयर और ऑपरेशन (MRO) के लिए एक केंद्र स्थापित करेगी।
बयान में ड्रोन की संख्या, कीमत और बाकी तकनीकी पहलुओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इस हिसाब से ड्रोन की संख्या और कीमत को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
आरोप
कांग्रेस ने क्या आरोप लगाए हैं?
कांग्रेस ने कहा, "जो राफेल की खरीद में हुआ, वही अब प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में दोहराया जा रहा है। जिस ड्रोन को बाकी देश 4 गुना कम कीमत में खरीदते हैं, उसी ड्रोन को हम 11 करोड़ डॉलर यानी 880 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीद रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के संयुक्त बयान के पॉइंट नंबर 16 में इन ड्रोन का जिक्र है।"
कांग्रेस
कांग्रेस ने नियमों का पालन नहीं करने का आरोप भी लगाया
कांग्रेस ने कहा, "समझौते से पहले सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक तक नहीं हुई और अकेले मोदी जी ने समझौता कर लिया। समझौते में तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल नहीं है। जब यह ड्रोन खरीदने थे तो रुस्तम और घातक ड्रोन के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को 1,786 करोड़ रुपए क्यों दिए?"
कांग्रेस ने पूछा कि जनरल एटॉमिक्स (GE) के मुख्य कार्यकारी निदेशक (CEO) के मौजूदा सत्ताधीशों और प्रभावशाली हस्तियों से क्या संबंध है।
TMC
TMC नेता ने भी उठाए थे कीमत पर सवाल
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता साकेत गोखले ने भी ड्रोन की कीमत को लेकर 24 जून को ट्वीट किया था। वैसे तो इस ट्वीट में कई बातें कही गई थीं, लेकिन हम खास बातें आपको बताते हैं।
उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने 3.1 अरब डॉलर से ज्यादा में 31 प्रिडेटर ड्रोन को खरीदने का समझौता किया है, यानी एक ड्रोन की कीमत 11 करोड़ डॉलर, वहीं अमेरिका प्राइवेट कंपनियों से एक ड्रोन 5.65 करोड़ डॉलर में खरीदता है।
महंगा
TMC नेता ने और क्या कहा?
साकेत ने कहा था कि साल 2016 में ब्रिटेन ने भी 16 ड्रोन 20 करोड़ डॉलर में खरीदे थे, यानी एक ड्रोन की कीमत करीब 1.25 करोड़ डॉलर हुई।
ऑस्ट्रेलिया ने 13 करोड़ डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से 12 ड्रोन खरीदे थे। इन ड्रोन के साथ दूसरे सिस्टम भी थे, जो भारत के समझौते में नहीं हैं। हालांकि, बाद में ऑस्ट्रेलिया ने 'ज्यादा कीमत' का हवाला देकर समझौता रद्द कर दिया था।
साकेत
साकेत ने और क्या आरोप लगाए?
साकेत ने समझौते में तकनीक हस्तांतरण के मुद्दे पर भी आरोप लगाए हैं।
ट्वीट में उन्होंने कहा, 'कुछ लोग कर रहे हैं कि ड्रोन की कीमत इसलिए ज्यादा है क्योंकि इसमें तकनीक का हस्तातरण शामिल है, लेकिन साल 2017 में सरकार ने संसद में कहा था कि ड्रोन समझौते में तकनीक का हस्तांतरण शामिल नहीं है।'
इसके साथ उन्होंने संसद में सरकार द्वारा दिए गए जवाब की प्रति संलग्न की थी।
सरकार
आरोपों पर सरकार का क्या कहना है?
साकेत के ट्वीट के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी की।
इसमें कहा गया, "अमेरिकी सरकार से नीतिगत अप्रूवल मिलने के बाद कीमत पर मोल-भाव किया जाएगा। इसके बाद लागत की तुलना उन कीमतों से की जाएगी, जिस पर दूसरे देशों को ड्रोन बेचे गए हैं। कीमत को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ अटकलों वाली रिपोर्ट्स सामने आई हैं। कीमत और समझौते की अन्य चीजें अभी तय नहीं हुई हैं।"
कीमत
...तो क्या भारत ने ड्रोन महंगे खरीदे हैं?
इसका जवाब जटिल है। दरअसल, रक्षा क्षेत्र से जुड़े सौदों की कीमत और बाकी जानकारी सुरक्षा कारणों से गोपनीय रखी जाती है।
दूसरी ओर ड्रोन या किसी विमान के समझौते के साथ अक्सर प्रशिक्षण, दूसरे हथियार, एसेंबली और तकनीक से संबंधित कई चीजें भी जुड़ी होती हैं।
इस लिहाज से देखा जाए तो कीमत इन सभी पहलुओं के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। इसकी सही जानकारी तभी मिल सकती है, जब सौदे के बारे में विस्तृत जानकारी सामने आए।
ड्रोन
क्या हैं प्रीडेटर ड्रोन की विशेषताएं?
प्रीडेटर ड्रोन को अमेरिका की GE ने बनाया है। इसे बिना किसी पायलट के केवल रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जाता है। यह ड्रोन 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है।
ये करीब 11,000 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने में सक्षम है। ये अपने साथ 2,100 किलोग्राम वजनी कुल 9 मिसाइल लेकर उड़ान भर सकता है।