
भारत-चीन में सीमा व्यापार को लेकर हुआ समझौता तो नेपाल क्यों भड़का, क्या है विवाद?
क्या है खबर?
हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर थे। इस दौरान भारत और चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से फिर व्यापार शुरू करने पर सहमति जताई थी। इसके अलावा शिपकी ला दर्रा और नाथु ला दर्रा से भी व्यापार दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी। इस घोषणा के एक दिन बाद नेपाल ने आपत्ति जताते हुए लिपुलेख को अपना हिस्सा बता दिया। आइए जानते हैं पूरा विवाद क्या है।
शुरुआत
कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त दस्तावेज जारी किया। इसमें कहा गया कि दोनों देशों ने सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। यह व्यापार 3 मार्गों- लिपुलेख दर्रा, शिपकी ला दर्रा और नाथु ला दर्रा से होगा। इस घोषणा पर नेपाली मीडिया ने सवाल उठाए थे।
नेपाल का बयान
विरोध में नेपाल ने क्या कहा?
नेपाल ने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा उसका अभिन्न हिस्सा हैं, जैसा कि उसके संविधान में शामिल नक्शे में दिखाया गया है। नेपाली विदेश मंत्रालय ने कहा, "यह तथ्य स्पष्ट है कि नेपाल सरकार ने चीन सरकार को पहले ही सूचित कर दिया है कि यह इलाका नेपाल का हिस्सा है। नेपाल-भारत के बीच सीमा विवाद का समाधान दोनों देशों के रिश्तों, ऐतिहासिक समझौतों, तथ्यों, नक्शों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर कूटनीतिक माध्यमों से किया जाएगा।"
भारत
नेपाल की आपत्ति पर भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि लिपुलेख के रास्ते भारत और चीन के बीच 1954 से व्यापार हो रहा है। जायसवाल ने कहा, "हाल में कोरोना और अन्य कारणों से ये बाधित हुआ था। अब दोनों देशों ने इसे फिर शुरू करने का फैसला किया है। नेपाल के क्षेत्रीय दावे ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। ये एकतरफा दावे मान्य नहीं हैं।" भारत ने सीमा विवाद को बातचीत और कूटनीति से हल करने की बात कही है।
दर्रा
कहां है लिपुलेख दर्रा?
17,060 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा भारत, नेपाल और चीन की सीमा के बीच स्थित है। इसके ऊपर तिब्बत है, दक्षिण-पूर्व में नेपाल है और उत्तर-पश्चिम में भारत है। इस लिहाज से इसकी रणनीतिक अहमियत भी बहुत है। यह दर्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले को तिब्बत के पुरंग (तकलाकोट) शहर से जोड़ता है। इस दर्रे से भारत और चीन के बीच स्थानीय व्यापार भी होता है और ये दोनों देशों के बीच सबसे पुरानी व्यापारिक चौकी है।
विवाद
दर्रे को लेकर क्या है विवाद?
लिपुलेख को भारत उत्तराखंड का हिस्सा मानता है, जबकि नेपाल अपना इलाका बताता है। दरअसल, भारत और नेपाल के बीच 1816 की 'सुगौली संधि' के तहत सीमा निर्धारित की गई है। इसके तहत महाकाली नदी के पश्चिम का हिस्सा भारत और पूर्वी हिस्सा नेपाल का है। दोनों देशों में नदी के उद्गम स्थल को लेकर विवाद है। नेपाल कहता है कि नदी की मुख्य धारा लिंपियाधुरा से शुरू होती है, जबकि भारत पूर्वी धारा को उद्गम स्थल मानता है।