#NewsBytesExplainer: क्या हैं अमेरिका के MQ-9 रीपर ड्रोन की विशेषताएं, जिन्हें खरीदने जा रहा भारत?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने अमेरिका से MQ-9 रीपर ड्रोन खरीदने के सौदे को मंजूरी दे दी है। अब इस प्रस्ताव को बस सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की मंजूरी लेनी है। माना जा रहा है कि CCS भी इस पर मुहर लगा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान इस ड्रोन को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हो सकता है। आइए MQ-9 रीपर ड्रोन की विशेषताएं जानते हैं।
कैसा है MQ-9 रीपर ड्रोन?
इस ड्रोन को अमेरिका की जनरल एटोमिक्स ने बनाया है। इसे 'प्रिडेटर ड्रोन' भी कहा जाता है। ये मानव-रहित हवाई वाहन (UAV) है, यानी इसे बिना किसी पायलट के केवल रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जाता है। इसके पंखों की लंबाई 79 फुट है, जबकि बॉडी की लंबाई 38 फुट है। ये मल्टीपर्पस ड्रोन है, यानी इसका इस्तेमाल जासूसी और सूचना जमा करने से लेकर हमले करने तक में किया जा सकता है।
क्या है ड्रोन की खासियत?
यह ड्रोन 388 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 40 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है। ये करीब 11,000 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने में सक्षम है। ये अपने साथ 2,100 किलोग्राम वजनी कुल 9 मिसाइल लेकर उड़ान भर सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इस वजह से यह आसानी से दुश्मनों की पकड़ में नहीं आता है।
कितना ताकवतर है MQ-9 रीपर ड्रोन?
इस ड्रोन में 2 लेजर गाइडेड AGM-114 हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं, जो हवा से जमीन पर सटीक हमला करने के लिए जानी जाती हैं। इसके अलावा यह एंटी-टैंक मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल, इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरीटाइम रडार, ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (ASW) किट से लैस है। इसे 12 अलग-अलग तरह के अभियानों में इस्तेमाल किया जा सकता है। ये अपने साथ 2,200 किलोग्राम गाइडेड बम ले जाने में भी सक्षम है।
अभी किन-किन देशों के पास हैं ये ड्रोन?
2007 में बनने के बाद से ही अमेरिका इन ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा एजेंसी भी इसका इस्तेमाल करती है। इसके अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, स्पेन, ब्रिटेन, सऊदी अरब, ताइवान और मोरक्को जैसे देश भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कई देश लीज पर इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। फिनलैंड और पोलैंड जैसे देश भी इनको खरीदने की इच्छा जता चुके हैं।
अमेरिका से कितने ड्रोन खरीदेगा भारत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 3 अरब डॉलर में भारत अमेरिका से 30 MQ-9 ड्रोन खरीद सकता है। इसमें से भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को 8-8 और भारतीय नौसेना को 14 ड्रोन दिए जाएंगे। भारत के पास वर्तमान में 2 प्रिडेटर ड्रोन हैं। इन्हें एक अमेरिकी फर्म से लीज पर लिया गया है और हिंद महासागर क्षेत्र में गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नौसेना की ओर से तैनात किया गया है।
किन बड़े ऑपरेशन में हुआ है इनका इस्तेमाल?
अमेरिका ने इस ड्रोन से 31 जुलाई, 2022 को अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी को अफगानिस्तान में मार गिराया था। 3 जनवरी, 2020 को बगदाद एयरपोर्ट के पास MQ-9 ड्रोन से हमला कर ईरान के कुद्स फोर्स के मुखिया कासिम सुलेमानी को मारा गया था। ड्रोन से सुलेमानी की कार पर मिसाइल दागी गई थी। अमेरिका ने अलकायदा के ओसामा बिन लादेन की निगरानी में भी इस ड्रोन का इस्तेमाल किया था। कई देशों में अमेरिका इनका इस्तेमाल कर रहा है।
न्यूजबाइट्स प्लस
प्रधानमंत्री मोदी 21 से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। प्रधानमंत्री बनने के 9 साल के कार्यकाल के दौरान ये उनका अमेरिका का पहला राजकीय दौरा होगा। इस दौरान वे व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलेंगे और दूसरी बार अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इससे पहले उन्होंने 2016 में इसे संबोधित किया था। इस दौरान वे अलग-अलग लोगों से भी मिलेंगे।