#NewsBytesExplainer: इस साल कश्मीर से लेकर हिमाचल तक पहाड़ों पर क्यों नहीं हो रही बर्फबारी?
क्या है खबर?
नए साल के शुरुआती हफ्तों में पहाड़ों पर बर्फबारी नहीं हुई है। इस बार जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश तक फैली हिमालयी श्रृंखलाओं में बेहद कम बर्फ दिख रही है।
स्की के लिए प्रसिद्ध कश्मीर का गुलमर्ग भी इस साल अभूतपूर्व सूखे का सामना कर रहा है, जबकि हिमाचल प्रदेश में भी कुछ ऐसे ही हालात बने हुए हैं। इससे पर्यटन से जुड़े व्यवसायी खासे परेशान हैं।
आइए जानते हैं कि क्यों पहाड़ों पर बर्फबारी नहीं हो रही है।
जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में क्या है हालात?
इस साल जम्मू-कश्मीर और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला पर बहुत कम बर्फ दिख रही है। यहां मैदानी इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है, जबकि पहाड़ी इलाकों में बेहद कम बर्फ गिरी है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दिसंबर में कश्मीर घाटी में 79 प्रतिशत कम बारिश हुई, जिसके कारण 20 जनवरी तक कश्मीर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है और बर्फबारी में कमी से क्षेत्र में पानी और संभावित खाद्य संकट भी खड़ा हो सकता है।
बर्फबारी
कश्मीर के मौसम में क्या आए बदलाव?
IMD केंद्र कश्मीर के निदेशक मुख्तार अहमद ने कहा, "पूरा दिसंबर और जनवरी का पहला सप्ताह सूखा रहा है। पिछले 3 से 4 सालों से नए साल पर बर्फबारी का एक पैटर्न था, जो इस साल गायब है।"
उन्होंने कहा, "पिछले साल घाटी में 30 और 31 दिसंबर, 2022 और 4 जनवरी, 2023 को बर्फबारी हुई थी। इस बार बर्फबारी नहीं हुई है। इससे फरवरी में होने वाले राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों पर भी असर पड़ सकता है।"
पर्यटन
क्यों जम्मू-कश्मीर के लोग हैं चिंतित?
जम्मू-कश्मीर में हर साल सर्दियों में लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं और यहां लोगों की आर्थिकी पर्यटन पर ही टिकी है। 2023 में अकेले गुलमर्ग में प्रसिद्ध स्कीइंग रिसॉर्ट में रिकॉर्ड 16.5 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे थे।
यहां पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र गुलमर्ग गोंडोला भी है। ये दुनिया की सबसे ऊंची केबल कार है। इसके अलावा गुलमर्ग दुनिया के सबसे बड़े इग्लू कैफे और ग्लास इग्लू रेस्तरां के लिए भी प्रसिद्ध है।
हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में कैसा है मौसम?
इसी तरह हिमाचल प्रदेश में इस साल मौसम में बदलाव देखने को मिला है। यहां सामान्यत: इन दिनों बारिश और बर्फबारी होती थी, लेकिन इस साल सूखे जैसे हालात बनते हुए नजर आ रहे हैं।
यहां भी अगले एक महीने में यहां बारिश और बर्फबारी के संकेत नहीं है और हिमाचल की आर्थिकी भी मुख्य रूप से पर्यटन और सेब की बागवानी पर टिकी है।
बर्फबारी ना होने के कारण ये दोनों ही क्षेत्र प्रभावित होते नजर आ रहे हैं।
क्या हैं कारण
पहाड़ों में बर्फबारी न होने के पीछे क्या हैं कारण?
मौसम में आए इस असामान्य बदलाव के लिए अल नीनो प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया गया है।
यह एक मौसमी घटना है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में सूखे जैसी परिस्थितियां बन जाती हैं और इसके कारण मानसून में सामान्य से कम बारिश होती है।
IMD ने जनवरी से फरवरी तक असामान्य तौर पर तापमान में बदलाव की भविष्यवाणी की है और इस अवधि में मौसम शुष्क रहने के साथ-साथ पहाड़ी इलाकों में कम बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
तापमान
वैज्ञानिकों अल नीनो को लेकर क्या दी चेतावनी?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अल नीनो प्रभाव से 2024 में वैश्विक स्तर पर तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते भारत के अधिकांश हिस्सों में कम बारिश की संभावना जताई गई है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस साल हिमालयी क्षेत्रों में कम बारिश और बर्फबारी के कारण सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।
भारत में पिछले साल मानसून के दौरान (जून से सिंतबर तक) सामान्य से केवल 4 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई थी।