
#NewsBytesExplainer: फिल्मों की शूटिंग में अहम भूमिका निभाता है लाइटिंग विभाग, जानिए कैसे करता है काम
क्या है खबर?
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, जब भी किसी फिल्म के निर्माण की बात आती है तो सबसे पहले उसकी कहानी, सितारे और निर्देशक की ओर ध्यान जाता है। हालांकि, शूटिंग के लिए और भी महत्वपूर्ण चीजें जरूरी होती हैं।
हर विभाग की अपनी-अपनी जिम्मेदारी होती है, वहीं लाइटिंग विभाग भी काफी अहम भूमिका अदा करता है।
यह विभाग न सिर्फ फिल्म में रोशनी लाने का काम करता है, बल्कि दर्शकों तक भी कई बाते पहुंचाता है।
आइए इसके बारे में जानें।
महत्व
क्यों जरूरी होती है लाइटिंग?
किसी भी सीन में हुई लाइटिंग दर्शकों को उसके मुख्य पात्र से मिलवाती हैं। मतलब जिस किरदार पर फोकस करना होता है, लाइट से उसी को महत्व दिया जाता है।
इसके अलावा लाइटिंग की मदद किरदार की छवि कैसी है, इसे भी दर्शाया जा सकता है। साथ ही इससे फिल्म के बारे में भी पता चलता है कि वह हॉरर है या रोमांटिंक।
ऐसे में लाइट अलग-अलग भाव और कहानी को दर्शकों तक पहुंचाने का काम करती है।
विस्तार
ऐसे समझें इसकी अहमियत
सीन में दिखने वाली रंगीन रोशनी एक खुशनुमा माहौल को दर्शाती है, जबकि अंधेरा रहस्य और डर की भावना पैदा करता है।
अगर किसी किरदार को रंगीन और तेज रोशनी में दिखाया जाता है तो दर्शक उसकी साफ और सकारात्मक छवि से परिचित होते हैं।
इसी तरह सीन में अंधेरा और छाया दिखाना किसी के रहस्यमयी किरदार को दिखाता है।
इसके अलावा हॉरर फिल्मों में सीन को डरावना दिखाने के लिए लाइटों के साथ ही खेला जाता है।
जिम्मेदारी
किसकी होती है जिम्मेदारी?
निर्देशक सीन से पहले उसे फिल्माने के बारे में टीम से बात करता है और उन्हें बताता है कि वह क्या और कैसे शूट करना चाहता है।
इसके बाद सिनेमैटोग्राफर निर्देशक के दृष्टिकोण को हूबहू पर्दे पर लाने के लिए एक लाइटिंग प्लान तैयार करता है और इसकी जानकारी गैफर को देता है।
गैफर सिनेमैटोग्राफर की ओर से मिले पूरे प्लान पर अपनी टीम के साथ मिलकर काम करता है और शूटिंग से पहले सेट पर लाइटें लगाता है।
जानकारी
कौन होता है गैफर?
गैफर सेट पर लाइटिंग विभाग का हेड इलेक्ट्रीशियन होता है। उसके पास पूरे बिजली विभाग के क्रू की जिम्मेदारी होती है, जो उसके साथ काम करता है। गैफर को सिनेमैटोग्राफर के दिए हर शॉट के लिए लाइटिंग की व्यवस्था करना होती है।
प्रकार
कई तरह की होती है लाइट
लाइट कई प्रकार की होती हैं, जिनका चुनाव सीन के हिसाब से किया जाता है।
सबसे पहले बात करते हैं टंगस्टन लाइट की, जिसका इस्तेमाल घर और ऑफिस के अंदर के शॉट के लिए किया जाता है।
दूसरी है, HMI लाइट, जो सबसे दूर तक रोशनी फैलाती हैं इसलिए इसे अंदर और बाहर दोनों जगह उपयोग में लिया जाता है।
खासकर सूरज की किरण दिखाने के लिए खिड़की या दरवाजे के बाहर HMI लाइटों का ही उपयोग किया जाता है।
प्रकार
ये भी हैं लाइट के प्रकार
इनके अलावा सेट के अंदर शूटिंग में फ्लोरोसेंट लाइटों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खास बात ये है कि इसमें जरूरत के हिसाब से वॉर्म और कूल लाइटें लगाई जा सकती हैं। ये लाइट बाकी सभी के मुकाबले कम गर्मी पैदा करती है इसलिए इन्हें सितारों के पास भी लगाया जा सकता है।
हालांकि, आजकल इनकी जगह LED लाइटों ले ली है। LED लाइटों में बैटरी लगती है और आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
जानकारी
प्राकृतिक रोशनी होती है सबसे शानदार
ये सभी लाइटें अपनी-अपनी जगह जरूरत के हिसाब से शूटिंग में इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन आज भी प्राकृतिक रोशनी सबसे बेहतरीन होती है। ऐसे में ज्यादातक निर्देशक दिन के समय की शूटिंग को प्राकृतिक रोशनी में ही करना पसंद करते हैं।
लाभ
तकनीक से मिली सुविधा
पहले जहां शूटिंग के लिए बड़ी-बड़ी लाइटों को लोकेशन पर लेकर जाना पड़ता था तो अब इसमें बदलाव आया है।
दरअसल, तकनीक ने कैमरा में लाइटिंग की व्यवस्था को सुधार दिया है। ऐसे में कम लाइटों से काम चल जाता है। इससे आना-जाना आसान हो गया है तो सेटअप भी जल्दी हो जाता है।
इसी तरह LED के आने से बड़ी लाइटों का इस्तेमाल कम हुआ है, क्योंकि इसकी मदद से छोटी-छोटी लाइटें लगाकर ज्यादा रोशनी की जा सकती है।