#NewsBytesExplainer: कैसे होता है गणतंत्र दिवस की झांकियों का चयन और अभी क्यों हो रहा विवाद?
क्या है खबर?
26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर परेड निकलती है। इनमें राज्यों की झांकियां भी शामिल होती हैं।
इस बार के समारोह के लिए पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल की झांकियों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे विवाद शुरू हो गया है। इन राज्यों की सरकारों ने केंद्र सरकार पर पक्षपात और भेदभाव के आरोप लगाए हैं।
आइए समझते हैं कि पूरा विवाद क्या है और झांकियों का चयन कैसे होता है।
विवाद
झांकियों को लेकर क्या है विवाद?
दरअसल, गणतंत्र दिवस की परेड के लिए इस बार पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब की झांकियों का चयन नहीं हुआ है। इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आजादी की लड़ाई में सबसे ज्यादा कुर्बानियां देने वाले राज्य की झांकी को नहीं दिखाया जा रहा है, यह पंजाब के साथ पक्षपात है।
दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी दिल्ली की झांकी को शामिल न करने के फैसले को दुर्भावना से प्रेरित बताया है।
जवाब
राज्य के आरोपों पर केंद्र सरकार का क्या कहना है?
आज (31 दिसंबर) को रक्षा मंत्रालय ने एक पत्र में कहा, "विशेषज्ञ समिति की बैठक के पहले 3 दौर में पंजाब की झांकी के प्रस्ताव पर विचार किया गया था। तीसरे दौर की बैठक के बाद पंजाब की झांकी पर विचार नहीं हुआ, क्योंकि ये परेड की व्यापक थीम के अनुरूप नहीं थी। पश्चिम बंगाल की झांकी पर भी पहली 2 बैठक में विचार किया गया था, लेकिन ये झांकी भी इस बार की थीम के अनुरूप नहीं पाई गई।"
चयन
कैसे होता है झांकियों का चयन?
गणतंत्र दिवस की परेड के लिए झांकियों का चयन रक्षा मंत्रालय की एक समिति करती है। इस समिति में आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, कोरियोग्राफी जैसे क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग होते हैं।
समिति सदस्य विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों से मिले झांकियों के प्रस्तावों को देखते हैं। इन झांकियों का चयन उनके विषय, डिजाइन और कई पहुलओं के आधार पर किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान करीब 6 या 7 बैठकें की जाती हैं।
मॉडल
राज्यों से मंगवाए जाते हैं झांकी के 3D मॉडल
समिति सबसे पहले झांकियों के स्केच या डिजाइन की जांच करती है। जब स्केच या डिजाइन को स्वीकृति मिल जाती है तो प्रतिभागियों को झांकियों के 3D मॉडल्स के साथ आने को कहा जाता है।
इसके बाद इन मॉडल्स की जांच होती है। किसी भी झांकी का चयन होने पर समिति उसकी सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेजती है। रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति के बाद ही झांकी को परेड में शामिल किया जाता है।
डिजाइन
झांकियों की डिजाइन को लेकर क्या है गाइडलाइन?
झांकियों पर किसी तरह का लोगो लगाने की अनुमति नहीं होती है। झांकियों के आगे राज्य का नाम अंग्रेजी में, पीछे हिंदी में और दाएं या बाएं क्षेत्रीय भाषा में लिखा जा सकता है।
झांकी की जमीनी सतह से उंचाई 45 इंच, चौड़ाई 14 इंच और ऊंचाई 16 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा ट्रैक्टर और ट्रेलर के बीच 6-7 फीट की दूरी होना चाहिए, ताकि उन्हें मोड़ने में कोई परेशानी न आए।
अनुमति
हर बार किसी न किसी राज्य की झांकी को नहीं मिलती है अनुमति
दरअसल, परेड में समयसीमा और बाकी इंतजामों को देखते हुए 15 या 16 झांकियों को ही शामिल किया जाता है। इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा मंत्रालयों और विभागों के 30-40 प्रस्ताव समिति को मिलते हैं।
इनमें से सभी को अनुमति नहीं दी जा सकती, इसलिए जरूरी नहीं कि हर साल हर राज्य की झांकी परेड में शामिल हो। चुनी हुई झांकियों को रक्षा मंत्रालय एक ट्रैक्टर और ट्रेलर उपलब्ध करवाता है।
राज्य
इस बार किन-किन राज्यों की झांकियां शामिल होंगी?
इस बार की परेड में शामिल होने वाली झांकियों की आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस बार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, मणिपुर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गोवा, मेघालय, लद्दाख, कर्नाटक, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, असम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल की झांकियों का चयन हुआ है।
इसके अलावा केंद्र सरकार के कई मंत्रालय की झांकियां भी शामिल रहेंगी।