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    #NewsBytesExplainer: अमेरिका के टैरिफ के जवाब में नरम रुख क्यों अपना रहा है भारत?
    अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए भारत वार्ता पर जोर दे रहा है

    #NewsBytesExplainer: अमेरिका के टैरिफ के जवाब में नरम रुख क्यों अपना रहा है भारत?

    लेखन आबिद खान
    Apr 13, 2025
    12:53 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। हालांकि, अब उन्होंने 90 दिनों तक टैरिफ लागू करने का फैसला टाल दिया है।

    इस बीच टैरिफ को लेकर भारत के व्यव्हार की चर्चाएं हो रही हैं। चीन की तरह भारत ने अमेरिका पर टैरिफ लगाने का ऐलान नहीं किया है, बल्कि व्यापार समझौते और दूसरे कदमों से थोड़ा नरम रुख अपनाया है।

    आइए जानते हैं भारत इस नीति को क्यों अपना रहा है।

    नुकसान

    क्या भारत को टैरिफ से ज्यादा नुकसान नहीं है?

    अमेरिका ने बाकी देशों के मुकाबले भारत पर कम (27 प्रतिशत) टैरिफ लगाया है। इनमें फार्मास्यूटिकल उत्पाद शामिल नहीं हैं।

    रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (RIS) के मुताबिक, "नए टैरिफ चुनिंदा उच्च मूल्य वाली वस्तुओं को प्रभावित कर सकती है, खासतौर पर मत्स्य पालन और आभूषण को।"

    जानकारों का कहना है कि भारत पर टैरिफ का असर तो पडे़गा, लेकिन ये बाकी देशों के मुकाबले कम होगा और इसकी भरपाई भी अन्य विकल्पों से की जा सकेगी।

    रुख

    टैरिफ को लेकर क्या है भारत का रुख?

    भारत ने सतर्क रुख अपनाते हुए टैरिफ के झटकों से निपटने के लिए वार्ता और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर ध्यान दिया है।

    भारत ने कुछ वस्तुओं पर टैरिफ कम करने पर सहमति जताई है तो दूसरी ओर प्रमुख कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम नहीं करने की बात कही है, ताकि अपने किसानों को संभावित नुकसान से बचा सके।

    वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि सरकार 'भारत के हितों को सर्वोपरि रख रही है।'

    कदम

    अमेरिका से किस तरह वार्ता कर रहा है भारत?

    वाणिज्य मंत्री गोयल ने बीते महीने अमेरिका का दौरा किया था।

    इसके बाद दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 5 दिवसीय भारत यात्रा पर आया था। इस दौरान भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर चर्चा हुई थी।

    हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी टैरिफ मुद्दे पर बातचीत की थी।

    मौका

    टैरिफ युद्ध के बीच क्या भारत के पास मौका भी है?

    ट्रंप ने भारत पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था।

    यह चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों से कम है। ये देश कई व्यापारिक मामलों में भारत के प्रतिद्वंद्वी हैं। ऐसे में भारत को फायदा हो सकता है।

    उदाहरण के लिए गारमेंट क्षेत्र में भारत को वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अमेरिकी बाजार तक तुलनात्मक रूप से आसान पहुंच मिल सकती है।

    छूट

    स्मार्टफोन और कंप्यूटर को छूट मिलने से भी भारत को फायदा

    बीते दिन ट्रंप ने स्मार्टफोन, कंप्यूटर, चिप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को टैरिफ से छूट देने का ऐलान किया है।

    मनीकंट्रोल ने इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के हवाले बताया कि इससे भारत को अमेरिकी बाजार में चीन निर्मित उत्पादों की तुलना में 20 प्रतिशत की कीमत बढ़त मिल सकती है।

    वहीं, इयरफोन जैसे ऑडियो उत्पाद, जिन पर टैरिप लगेगा, अगर वे चीन से आयात किए जाते हैं तो उन्हें 125 से अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

    चुनौतियां

    भारत के लिए ये चुनौतियां भी हैं

    ट्रंप ने दवाओं पर भी टैरिफ लगाने के संकेत दिए हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने अपने कुल दवा निर्यात का 31 प्रतिशत अमेरिका को किया था।

    टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अगर 90 दिन बाद ट्रंप दोबारा से टैरिफ लागू करते हैं तो भारत को अमेरिकी निर्यात में 66,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

    इसके अलावा भारत के ऑटोमोबाइल, मत्स्य और विनिर्माण क्षेत्र पर भी सबसे ज्यादा जोखिम है।

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