
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उच्च टैरिफ के साथ गरीब देशों को कैसे बना रहे निशाना?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशों से आने वाले सामान पर उच्च टैरिफ की घोषणा कर दुनियाभर के नेताओं को चौंका दिया है।
उन्होंने 2 अप्रैल को चीन पर 34 प्रतिशत, यूरोपीय संघ पर 20 प्रतिशत तथा भारत सहित अन्य देशों पर 27 प्रतिशत का 'पारस्परिक टैरिफ' की घोषणा की है।
इस घोषणा का सीधा असर आर्थिक रूप से कमजोर देशों पर पड़ेगा। आइए जानते हैं ट्रंप अपनी ट्रैरिफ नीति से गरीब देशों को कैसे निशाना बना रहे हैं।
#1
मेडागास्कर को झेलना पड़ रहा है 47 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिका को वेनिला, धातु और परिधान निर्यात करने वाले पूर्वी अफ्रीकी देश मेडागास्कर को 47 प्रतिशत टैरिफ झेलना पड़ रहा है।
यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, जिसका प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 500 डॉलर (करीब 43,000 रुपये) है।
उसने 2024 में अमेरिका को 73.30 करोड़ डॉलर (6,303 करोड़ रुपये) का माल निर्यात किया था, जाे उसके कुल निर्यात का 15 प्रतिशत है। ऐसे में 47 प्रतिशत टैरिफ उस पर आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है।
#2
लेसोथो पर लगाया 50 प्रतिशत टैरिफ
ट्रंप ने दक्षिणी अफ्रीकी देश लेसोथो पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इस छोटे देश में 5 वर्ष से कम आयु के एक तिहाई बच्चे कुपोषण का शिकार हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नए टैरिफ से लेसोथो में रोजगार का मुख्य स्रोत कपड़ा क्षेत्र खस्ताहाल हो सकता है।
यह देश हीरे, पानी, बिजली, ऊन और मोहायर का निर्यात करता है। उसने पिछले साल अमेरिका को हीरे और वस्त्र का 23.70 करोड़ डॉलर (2,038 करोड़ रुपये) का निर्यात किया था।
#3
कंबोडिया को चुकाना होगा 49 प्रतिशत टैरिफ
ट्रम्प प्रशासन ने कंबोडिया पर 49 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देश ने पिछले साल अमेरिका से 32.16 करोड़ डॉलर (2,765 करोड़ रुपये) का सामान आयात किया था, जबकि 12.7 अरब डॉलर (1.09 लाख करोड़ रुपये) मूल्य का सामान निर्यात किया था।
कंबोडिया अपने कुल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत अमेरिका को भेजता है। इसका मुख्य निर्यात परिधान, जूते और यात्रा सामान हैं। ऐसे में 49 प्रतिशत टैरिफ उसके लिए बड़ा झटका है।
#4
लाओस पर लगाया 48 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिका ने 75 लाख की आबादी वाले लाओस पर 48 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। यह सबसे गरीब और कम विकसित देशों में से एक है।
यह देश भारी सार्वजनिक ऋण और मुद्रास्फीति, बजट कटौती और मुद्रा अवमूल्यन से पीड़ित है।
साल 2024 में लाओस ने अमेरिका से 4 करोड़ डॉलर (लगभग 344 करोड़ रुपये) मूल्य का सामान आयात किया, जबकि 80.03 करोड़ डॉलर (6,880 करोड़ रुपये) मूल्य के दूरसंचार उपकरण, सेलफोन, घरेलू सामान और टेलीविजन उपकरणों का निर्यात किया है।
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सूडान, श्रीलंका और सीरिया पर भी बढ़ाया टैरिफ
अमेरिका ने युद्ध से तबाह हुए सूडान और दक्षिण सूडान पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। पहले से ही व्यापार की बदतर स्थिति का सामना कर रहे सूडना को और बड़ा नुकसान होगा।
इसी तरह वित्तीय संकट से उबर रहे श्रीलंका पर 44 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। यह स्थिति श्रीलंका पर वित्तीय बोझ बढ़ा सकती है।
इसके अलावा, अमेरिका ने गृहयुद्ध से जूझ सीरिया पर 41 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। यह उसे आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है।
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इराक और गुयाना की भी बढ़ेगी मुश्किलें
अमेरिका ने विश्व के सबसे गरीब देशों में से एक इराक पर 39 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है।
कच्चे तेल के लिए मशहूर इराक ने पिछले साल अमेरिका को 7.4 अरब डॉलर (63,640 करोड़ रुपये) का सामान भेजा, जबकि अमेरिका ने 1.7 अरब डॉलर (14,620 करोड़ रुपये) आयात किया है।
इसी प्रकार, गुयाना पर 38 प्रतिशत का टैरिफ लगा है। पिछले साल गुयाना ने 5.37 अरब डॉलर (46,182 करोड़ रुपये) का सामान निर्यायत किया था।
जानकारी
बांग्लादेश पर लगाया 37 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिका ने बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। बांग्लादेश ने अमेरिका को पिछले साल 8.4 अरब डॉलर (72,240 करोड़ रुपये) मूल्य का माल निर्यात किया था। ऐसे में अब टैरिफ बढ़ने से इस छोटे देश को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा।
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बोत्सवाना और भूकंप से पीड़ित म्यांमार पर भी पड़ी मार
अफ्रीकी देश बोत्सवाना पर 37 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। बोत्सवाना में गरीबी और बेरोजगारी का स्तर बहुत अधिक है। यह मुख्य रूप से हीरे का निर्यात करता है।
बोत्सवाना ने अमेरिका को 40.51 करोड़ डॉलर (3,483 करोड़ रुपये) मूल्य का माल निर्यात किया था।
इसी तरह हाल ही में विनाशकारी भूकंप से प्रभावित म्यांमार पर 44 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। इस टैरिफ से दोनों देशों पर आर्थिक भार पड़ेगा और इसका उनकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।
योजना
ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के पीछे क्या है योजना?
राष्ट्रपति ट्रंप के विभिन्न देशों से आने वाले सामान पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की नीति के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिकी कंपनियों दूसरे देशों में जाने से रोकना और दूसरे देशों में अमेरिकी सामान की मांग में इजाफा करना है।
इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी। दरअसल, दूसरे देशों में अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ में कमी आने पर अमेरिका के निर्यात में बढ़ोतरी होगी, जबकि विदेशी सामानों का आयात कम हो सकेगा।