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#NewsBytesExplainer: भारत अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से क्यों सुधार रहा संबंध? ये हैं वजहें
भारतीय विदेश सचिव ने अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री से मुलाकात की है (तस्वीर-एक्स/@MEAIndia)

#NewsBytesExplainer: भारत अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से क्यों सुधार रहा संबंध? ये हैं वजहें

लेखन आबिद खान
Jan 09, 2025
12:58 pm

क्या है खबर?

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की है। यह मुलाकात भारत और तालिबान प्रशासन के बीच अब तक की सबसे उच्चस्तरीय बातचीत मानी जा रही है। इसे भारत और तालिबान सरकार के बीच संबंधों में बड़ी पहल के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरान मानवीय सहायता, विकास और सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। आइए जानते हैं भारत तालिबान से चर्चा क्यों कर रहा है।

समय

अभी क्यों की गई चर्चा?

दोनों लोगों के बीच वार्ता का समय भी काफी अहम है। हाल के दिनों में तालिबान और पाकिस्तान के संबंध बिगड़े हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर हमला किया है, जिसमें कई लोग मारे गए हैं। इसके अलावा मध्य-पूर्व में उथल-पुथल के बाद ईरान काफी कमजोर हो गया है। सीरिया में तख्तापलट ने ईरान को और कमजोर कर दिया है। इधर चीन भी तालिबान के साथ संबंध मजबूत कर अफगानिस्तान में अपनी पैठ बना रहा है।

निवेश 

भारत के अफगानिस्तान में अहम निवेश

भारत ने तालिबान के आने से पहले अफगानिस्तान में कई पुनर्निर्माण से जुड़ी योजनाओं में लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। अफगानिस्तान की नई संसद को भारत ने बनाया है। इसके अलावा कई बांधों और सड़कों का निर्माण भी कराया है। अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका को तालिबान भी स्वीकार करता है। ऐसे में भारत अपने सालों के निवेश और पैसे को खोना नहीं चाहता है।

रूस

रूस भी है वजह

रूस पिछले 3 सालों से यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि तालिबान अब आतंकवाद से लड़ने में एक सहयोगी है। एक महीने पहले ही रूस की संसद ने तालिबान को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने वाला कानून पारित कर दिया है। सीरिया में तख्तापलट भी रूस के लिए झटका है। ऐसे में रूस के लिहाज से भी भारत के लिए ये अहम मौका है।

चीन

अफगानिस्तान में बढ़ रहा है चीन का हस्तक्षेप

भारत की तरह चीन ने भी अफगानिस्तान में कई परियोजनाओं में भारी निवेश किया है। उनकी नजर यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर है। चीन उन शुरुआती देशों में से है, जिसमें काबुल में अपना राजदूत नियुक्त किया है। तालिबान के आने के बाद चीन अफगानिस्तान का सबसे बड़ा सहयोगी बनकर उभरा है। ऐसे में अफगानिस्तान में बढ़ती चीनी गतिविधियों के लिहाज से भारत की भी वहां उपस्थिति काफी अहम है।

पाकिस्तान

पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के बिगड़ते संबंध

पाकिस्तान ने कभी अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने का जश्न मनाया था, लेकिन अब उसके संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत को चिंता थी कि पाकिस्तान अफगानिस्तान का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है। हालांकि, अब दोनों एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। भारत ने अफगानिस्तान पर किए गए पाकिस्तानी हमले की निंदा भी की है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बिगड़ते संबंधों ने भारत के लिए एक अवसर पैदा कर दिया है।

संबंध

भारत ने तालिबान के साथ कैसे विकसित किए संबंध?

तालिबान के साथ संबंधों को लेकर भारत ने पहला कदम 31 अगस्त, 2021 को उठाया था। तब कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबानी उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के नेतृत्व में तालिबान के दोहा कार्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। इसके बाद जून, 2022 में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और ईरान) जेपी सिंह ने तालिबानी नेताओं से मुलाकात की थी। इसके बाद काबुल में भारतीय दूतावास में एक तकनीकी टीम भेजी गई।