भारत करेगा तालिबान सरकार की मदद, जानिए अफगानिस्तान के साथ क्या हुए समझौते
क्या है खबर?
अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान सरकार को भले ही भारत सरकार ने मान्यता न दी हो, लेकिन दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाएंगे।
संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ हुई बैठक में कई समझौते हुए हैं।
इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे की मदद करने और विकास परियोजनाओं में जुड़ने का भरोसा दिया।
आइए जानते हैं, दोनों देशों के बीच क्या समझौते हुए।
समझौता
अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में शामिल होगा भारत
विदेश मंत्रालय ने बयान में बताया कि अफगान मंत्री ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ जुड़ने और उनका समर्थन करने के लिए भारतीय नेतृत्व की सराहना की है।
भारत ने निर्णय लिया है कि वह अफगानिस्तान में चल रही मानवीय सहायता कार्यक्रम के अलावा आगे विकास परियोजनाओं में भी शामिल होने पर विचार करेगा।
साथ ही भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को देखते हुए मानवीय सहायता बढ़ाने का फैसला लिया है।
खेल
क्रिकेट को किया जाएगा मजबूत
मंत्रालय ने बताया कि भारत स्वास्थ्य और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए और अधिक सामग्री भेजेगा। अभी उसने गेहूं, दवाएं, पोलियो खुराक, कोरोना वैक्सीन, कपड़े और स्टेशनरी किट आदि भेजी है।
दोनों ने खेल सहयोग, खासकर क्रिकेट को मजबूत करने पर चर्चा की, जो अफगानिस्तान के युवाओं में लोकप्रिय है।
अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के उद्देश्य सहित व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी।
सुरक्षा
अफगानिस्तान ने सुरक्षा का वादा किया
कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत ने अफगानिस्तान की तत्काल विकास आवश्यकताओं को पूरा करने की भारत की इच्छा दोहराई है।
वहीं तालिबान ने आश्वासन दिया कि अफगान क्षेत्र का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों पर चिंताओं का समाधान किया।
दोनों पक्षों ने संपर्क में बने रहने तथा विभिन्न स्तरों पर नियमित संपर्क जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है।
बैठक
क्यों खास है ये मुलाकात?
अफगानिस्तान में 2021 से तालिबान सत्ता पर काबिज है और तब से भारत और अफगानिस्तान के बीच कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई।
भारत ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है, लेकिन इस बैठक से दोनों देशों के बीच मदद और संबंधों में गरमाहट बढ़ने की संभावना है।
दूसरी तरफ भारत-अफगानिस्तान दोनों पाकिस्तान के पड़ोसी हैं। जहां भारत आतंकवाद मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ है, वहीं हाल में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बमबारी की थी, जिसका भारत ने विरोध किया था।