पाकिस्तान में इतने आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं और कौन कर रहा है?
क्या है खबर?
पाकिस्तान के पेशावर स्थित एक मस्जिद में हुए बम धमाके में मरने वालों की संख्या 100 पहुंच गई है। इस आत्मघाती हमले में 200 लोग घायल हुए थे और इसे पिछले एक दशक का सबसे भीषण हमला बताया जा रहा है।
इसके पीछे पाकिस्तानी तालिबान TTP (तहरीक-ए-तालिबान-ए-पाकिस्तान) को जिम्मेदार माना गया और उसके एक कमांडर ने इसकी जिम्मेदारी भी ली थी।
आइये समझते हैं कि TTP क्या है और यह क्यों हमले कर रहा है।
जिम्मेदारी
नवंबर के बाद से बढ़े TTP के हमले
TTP के एक कमांडर ने पहले सोमवार को हुए बम धमाके की जिम्मेदारी ली थी।
हालांकि, बाद में इस संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि इस धमाके में TTP की कोई भूमिका नहीं है और धार्मिक ठिकानों को निशाना बनाना उसकी नीति में नहीं है।
बता दें कि पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान सरकार के साथ सीजफायर समझौता तोड़ने के बाद से यह संगठन पाकिस्तान में 100 से ज्यादा हमले कर चुका है।
शुरुआत
2007 में हुई थी TTP की शुरुआत
TTP ने पिछले 15 सालों से पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह छेड़ा हुआ है और इसकी वजह 'आतंक के खिलाफ लड़ाई' में पाकिस्तान का अमेरिका का साथ देना है।
इस संगठन की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब अलग-अलग इस्लामी सशस्त्र समूहों ने सरकार के खिलाफ एक साथ आकर पड़ोसी देश अफगानिस्तान में अमेरिका और NATO (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) की सेनाओं से लड़ रहे तालिबान का समर्थन करने का ऐलान किया था।
मांग
इन मांगों को लेकर हिंसा कर रहा है TTP
इस्लामिक कानून को कड़ाई से लागू कराने,अपने गिरफ्तार सदस्यों को छुड़ाने और खैबर पख्तूनख्वा से सैन्य उपस्थिति कम करने समेत TTP की कई मांगे हैं।
यह 2018 में जनजातीय जिलों के खैबर पख्तूनख्वा में हुए विलय को भी पलटने की मांग कर रहा है। इन जनजातीय इलाकों में करीब 70 लाख रहते हैं और इस पर फ्रंटियर क्राइम्स रेगुलेशन (FCR) के तहत शासन किया जाता है। इसमें एक व्यक्ति के जुर्म के लिए पूरी समुदाय को सजा मिलती है।
चेतावनी
TTP ने पुलिस को दी चेतावनी
TTP ने पाकिस्तान पुलिस को चेतावनी दी है कि वह खैबर पख्तूनख्वा इलाके में उसके लड़ाकों के खिलाफ अभियानों में हिस्सा न ले।
उसका कहना है कि वह पिछले दो सालों से अपने बचाव के लिए कार्रवाई कर रहा है। हालांकि, पिछले साल नंवबर में सीजफायर समझौते को खत्म करने के बाद उसने सैन्य और पुलिसकर्मियों पर हमले बढ़ा दिए हैं।
बता दें कि अफगानिस्तान में शासन कर रहे तालिबान ने यह सीजफायर समझौता करवाया था।
संबंध
TTP और अफगान तालिबान का क्या संबंध है?
TTP और अफगान तालिबान अलग-अलग है, लेकिन अफगानिस्तान में ये एक-दूसरे की करीबी सहयोगी है। दोनों की विचारधारा एक है और अफगानिस्तान में तालिबान की कब्जा होने के बाद TTP मजबूत हुई है।
पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि तालिबान TTP के लड़ाकों को आश्रय और पहले से गिरफ्तार उसके लड़ाकों को रिहा कर रहा है।
हालांकि, अफगान तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान की धरती को किसी भी देश पर हमले के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा।
आशंका
पाकिस्तान में हमले और बढ़ने की आशंका
सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के बीच हमलों में और इजाफा होगा।
पिछले दो दशकों में पाकिस्तान में लगातार हमले होते रहे हैं, लेकिन TTP और पाकिस्तान सरकार के बीच सीजफायर समझौता खत्म होने के बाद इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है।
यह आतंकी संगठन नियमित तौर पर उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में गोलीबारी और बम धमाकों को अंजाम दे रहा है।