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    क्या है गंगा जल बंटवारा संधि, जिस पर आमने-सामने हैं केंद्र और ममता बनर्जी सरकार?
    गंगा जल बंटवारा संधि पर क्यों आमने-सामने हैं केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार?

    क्या है गंगा जल बंटवारा संधि, जिस पर आमने-सामने हैं केंद्र और ममता बनर्जी सरकार?

    लेखन भारत शर्मा
    Jun 25, 2024
    01:55 pm

    क्या है खबर?

    भारत और बांग्लादेश के बीच 28 साल पहले हुई गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार आमने-सामने हो गई हैं।

    बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के गत शुक्रवार को भारत दौरे पर आने के बाद केंद्र सरकार ने इस संधि को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी।

    इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य सरकार को इस मामले से बाहर रखने का आरोप लगाया था।

    पृष्ठभूमि

    गंगा जल संधि को लेकर क्यों उठा विवाद?

    बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हसीना शुक्रवार को भारत आई थीं। उस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उन्होंने अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा के साथ कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।

    उसमें 1996 में दोनों देशों के बीच हुई गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण पर बातचीत शुरू करने का फैसला भी शामिल है।

    इसके बाद मुख्यमंत्री बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर राज्य सरकार को संधि के मामले से अलग रखने का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई थी।

    पत्र

    बनर्जी ने पत्र में क्या लिखा?

    मुख्यमंत्री बनर्जी ने पत्र में लिखा था कि राज्य सरकार के परामर्श और राय के बिना इस तरह की एकतरफा विचार-विमर्श और चर्चा न तो स्वीकार्य है और न ही वांछनीय है।

    उन्होंने लिखा था कि बांग्लादेश के साथ उनका बहुत करीबी रिश्ता है। वह बांग्लादेश के लोगों से प्यार करती हैं और सम्मान करती हैं। पश्चिम बंगाल ने अतीत में कई मुद्दों पर बांग्लादेश के साथ सहयोग किया है, लेकिन मुख्यमंत्री के नाते उनका राज्य सर्वोपरी है।

    दलील

    बनर्जी ने संधि को लेकर क्या दी दलील?

    बनर्जी ने लिखा कि पानी बहुत कीमती है और लोगों की जीवन रेखा है। वह ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते जिसका लोगों पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिम बंगाल के लोगों को होगा।

    उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार बांग्लादेश के साथ गंगा जल बंटवारा संधि (1996) को नवीनीकृत करने की प्रक्रिया में है, जो 2026 में समाप्त होनी है, लेकिन उनके परामर्श के बिना ऐसा करना सरासर गलत है।

    खंडन

    केंद्र सरकार ने किया बनर्जी के आरोपों का खंडन 

    सूत्रों के अनुसार, बनर्जी के पत्र के बाद केंद्र ने सभी आरोपों का खंडन किया है।

    केंद्र का कहना है कि पिछले साल 24 जुलाई को गंगा जल बंटवारा संधि की आंतरिक समीक्षा के लिए समिति में पश्चिम बंगाल सरकार के एक प्रतिनिधि को शामिल करने को कहा था।

    उसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले साल 25 अगस्त को सिंचाई एवं जलमार्ग निदेशालय में मुख्य अभियंता (डिजाइन एवं अनुसंधान) के नामांकन की सूचना समिति को भेजी थी।

    संधि

    क्या है गंगा जल बंटवारा संधि?

    भारत के 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण करने पर बांग्लादेश ने आपत्ति जताई थी।

    इसके बाद 1996 में दोनों देशों के बीच गंगा जल बंटवारा संधि हुई थी। यह संधि 30 साल के लिए थी और 2026 में समाप्त हो जाएगी।

    फरक्का बैराज पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में है। इस बांध में जनवरी से मई तक पानी का बहाव कम रहता है। इस समझौते के तहत इस बांध में पानी का बहाव सुनिश्चित करना था।

    समझौता

    संधि के तहत क्या हुआ था समझौता?

    इस संधि के तहत अगर फरक्का बांध में पानी की उपलब्‍धता 75,000 क्‍यूसेक बढ़ती है तो भारत के पास 40,000 क्‍यूसेक पानी लेने का अधिकार है।

    इसी तरह पानी की मात्रा 70,000 क्‍यूसेक से कम होने पर बहाव को दोनों देशों के बीच बांटा जाएगा।

    इसके अलावा अगर बहाव 70,000 से 75,000 क्‍यूसेक तक रहता है तो फिर बांग्‍लादेश को 35,000 क्‍यूसेक पानी दिया जाएगा। इससे दोनों देशों की पानी की समस्या का समाधान हुआ था।

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