#NewsBytesExplainer: क्या होता है संसद का विशेष सत्र और अभी तक कब-कब बुलाया गया?
केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। इससे एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक भी होनी है। सरकार के एजेंडे के मुताबिक, इस सत्र में 4 विधेयक पेश किए जाने हैं। सत्र को लेकर खूब विवाद भी हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि हाल ही में जब मानसून सत्र समाप्त हुआ तो विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है। आइए विशेष सत्र से जुड़े सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
सबसे पहले जानिए संसद सत्र कितने तरह के होते हैं?
आमतौर पर संसद के 3 सत्र होते हैं- बजट, मानसून और शीतकालीन। बजट सत्र फरवरी-मार्च, मानसून सत्र जुलाई-अगस्त और शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में बुलाया जाता है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 85 के तहत, सरकार के पास विशेष परिस्थितियों में संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने का अधिकार है। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति इसका फैसला लेती है। इसके बाद राष्ट्रपति से भी औपचारिक मंजूरी लेनी होती है। संविधान में 'विशेष सत्र' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
अब तक कितनी बार बुलाया गया विशेष सत्र?
अब तक 7 बार संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। 1977 में राज्यसभा का पहला विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसमें तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का फैसला लिया गया था। आखिरी बार जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान विशेष सत्र बुलाया गया था। इसमें वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने के लिए संसद के सेंट्रल हॉल में बैठक हुई थी।
सत्र की तारीख और एजेंडा कौन निर्धारित करता है?
केंद्र सरकार ही किसी भी संसद सत्र की तारीख, अवधि और एजेंडा निर्धारित करती है। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति यह फैसला लेती है। वर्तमान में इसमें 10 मंत्री हैं, जिनमें रक्षा, गृह, वित्त, कृषि, जनजातीय मामले, संसदीय मामले और सूचना और प्रसारण मंत्री शामिल हैं। कानून मंत्री और विदेश राज्य मंत्री भी समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। समिति के फैसले के बारे में राष्ट्रपति को सूचना दी जाती है।
क्या विशेष सत्र का एजेंडा बताना जरूरी होता है?
विपक्षी पार्टियां सत्र का एजेंडा न बताने को लेकर सरकार पर आरोप लगा रही थी। हालांकि, अब सरकार ने एंजेडा जारी कर दिया है, लेकिन ये जरूरी नहीं होता है। संसदीय कार्यप्रणाली के मुताबिक, विशेष सत्र की सूचना 15 दिन पहले देनी होती है और एक दिन पहले भी एजेंडा बताया जा सकता है। हालांकि, सरकार के पास ये अधिकार भी होता है कि वो एजेंडा बदल भी सकती है।
विशेष सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल होगा?
बता दें कि विशेष सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं होगा और न ही कोई निजी विधेयक पेश किया जाएगा। प्रश्नकाल आयोजित करना है या नहीं इसका फैसला भी लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति पर निर्भर करता है। इससे पहले कई बार ऐसा हुआ है, जब विशेष सत्र में प्रश्नकाल आयोजित नहीं किया गया। 2017 में जब विशेष सत्र बुलाया गया था, उसमें भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था।
सत्र का सरकार ने क्या एजेंडा बताया है?
सरकार द्वारा जारी एजेंडे के मुताबिक, 18 सितंबर को राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादों और सीख पर चर्चा होगी। सत्र के 5 दिनों के दौरान पोस्ट ऑफिस विधेयक 2023, मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवाओं और कार्यकाल से संबंधित विधेयक, अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 पेश किया जाएगा। 17 सितंबर को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है।