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    #NewsBytesExplainer: कैसे एक NRI कारोबारी की सलाह पर कृषि कानून लेकर आई थी केंद्र सरकार?
    कृषि कानूनों का आइडिया NRI कारोबारी शरद मराठे के प्रस्ताव से आया था

    #NewsBytesExplainer: कैसे एक NRI कारोबारी की सलाह पर कृषि कानून लेकर आई थी केंद्र सरकार?

    लेखन आबिद खान
    Aug 17, 2023
    07:20 pm

    क्या है खबर?

    2020 में केंद्र सरकार 3 कृषि कानून लेकर आई थी। इनके खिलाफ किसान सड़कों पर उतर आए थे, महीनों तक उनका विरोध-प्रदर्शन चला और अंतत: सरकार को तीनों कानून वापस लेने पड़े।

    अब कृषि कानूनों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। वेबसाइट रिपोर्टर्स कलेक्टिव के मुताबिक, इन कानूनों को लाने के पीछे का आइडिया एक अनिवासी भारतीय (NRI) कारोबारी का था।

    आइए समझते हैं कि इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है।

    आइडिया

    कैसे आया कृषि कानूनों को लाने का आइडिया?

    इस पूरे मामले की शुरुआत होती है साल 2016 से। तब उत्तर प्रदेश में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनका सपना है कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाए।

    इसके बाद नीति आयोग ने इस दिशा में काम करना शुरू किया। 2 महीने के अंदर ही आयोग ने इस संबंध में एक अंतर-मंत्रालीय समिति का गठन किया, जिसने कृषि कार्यकर्ताओं, अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों से चर्चा की।

    NRI

    कैसे हुई NRI कारोबारी की एंट्री?

    मामले में नीति आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष राजीव कुमार को 16 अक्टूबर, 2017 को एक पत्र मिला। ये पत्र NRI कारोबारी शरद मराठे ने लिखा था।

    इसमें मराठे ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि भूमि को कंपनियों को पट्टे पर देने, मार्केटिंग कंपनी बनाने और प्रोसेसिंग के लिए छोटी कंपनियां बनाने जैसे सुझाव दिए थे।

    मराठे ने पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष 'टास्क फोर्स' गठित करने की सिफारिश भी की थी।

    प्रस्ताव

    मराठे ने आय दोगुनी करने के लिए क्या सुझाव दिए थे?

    मराठे ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि से कृषि-कारोबार की तरफ बढ़ने का सुझाव दिया था।

    उन्होंने सुझाव दिया कि बड़ी-बड़ी कंपनियों किसानों से पट्टे पर लेकर बड़ी भूमि बनाएं और सरकार की मदद से एक बड़ी मार्केटिंग कंपनी और प्रोसेसिंग के लिए छोटी-छोटी कंपनियां बनाई जाएं।

    ये कंपनियां मिलकर कृषि उत्पादन की मार्केटिंग से लेकर उनकी प्रोसेसिंग और बिक्री तक करेंगी।

    किसान भी इनमें शेयर लेकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इससे वे ज्यादा पैसा कमा सकेंगे।

    पत्र

    मराठे ने पत्र में और क्या बातें लिखीं?

    मराठे ने 11 सदस्यीय टास्क फोर्स में खुद के साथ तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कारोबारी संजय मारीवाला और विजय चौथाईवाले को शामिल करने का सुझाव दिया था।

    विजय को भाजपा का करीबी माना जाता है और वे प्रधानमंत्री के कुछ अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित करा चुके हैं। वे भाजपा के विदेश नीति विभाग और प्रवासी मित्र इकाई में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।

    नीति आयोग ने मराठे के सुझाव प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भी दिखाए।

    टास्क फोर्स

    मराठे की सिफारिश पर आयोग ने बनाया टास्क फोर्स

    मराठे की सिफारिशों पर नीति आयोग ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें 16 लोग शामिल हुए, जिनमें से 7 का नाम मराठे ने सुझाया था।

    मराठे के सुझाव देने के 3 महीने के अंदर ही जनवरी, 2018 में टास्क फोर्स बना दी गई। ऐसा तब हुआ, जब मामले में पहले से ही अंतर-मंत्रालीय समिति काम कर रही थी।

    आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में भी टास्क फोर्स का उल्लेख किया गया। हालांकि, टास्क फोर्स की रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई।

    समिति

    सरकार ने समिति की बजाय टास्क फोर्स को दी प्राथमिकता

    रिपोर्ट के मुताबिक, इस टास्क फोर्स ने अडाणी समूह, पतंजलि, महिंद्रा ग्रुप और बिग बास्केट जैसे कारोबारी समूहों से चर्चा की, लेकिन किसी भी किसान संगठन से चर्चा नहीं की गई।

    सरकार ने भी कृषि कानूनों में टास्क फोर्स की सिफारिशों को प्राथमिकता दी। अंतर-मंत्रालीय समिति ने जो व्यापक रिपोर्ट पेश की थी, उसके सुझावों को कानूनों में जगह नहीं मिली, यानी सरकार ने मराठे की सिफारिश पर बनाई टास्क फोर्स की सलाह को प्राथमिकता दी।

    अडाणी

    जमाखोरी पर भी सरकार ने टास्क फोर्स और अडाणी समूह को दी प्राथमिकता

    टास्क फोर्स की बैठक में अडाणी समूह ने कहा था कि आवश्यक वस्तु अधिनियम किसानों की आय बढ़ाने की राह में रोड़ा साबित हो रहा है। दरअसल, इस कानून के तहत एक निश्चित सीमा के बाद खाद्य पदार्थों की जमाखोरी नहीं की जा सकती।

    इसके विपरीत अंतर-मंत्रालीय समिति ने कुछ शर्तों के साथ जमाखोरी की सीमा को उदार बनाने की सिफारिश की थी।

    सरकार ने टास्क फोर्स की मानते हुए कृषि कानून में जमाखोरी पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया।

    मराठे

    शरद मराठे कौन हैं?

    शरद मराठे को भाजपा का करीबी माना जाता है। वे अमेरिका और भारत में यूनिवर्सल टेक्नीकल सिस्टम नाम से एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते हैं।

    2018 में मराठे को आयुष मंत्रालय की एक टास्क फोर्स का भी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनकी इस नियुक्ति पर भी सवाल उठे क्योंकि उन्हें न तो आयुष और न ही कृषि क्षेत्र का अनुभव है।

    मराठे उस सरकारी प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे, जिसने 2019 में स्पेन की राजकुमारी से मुलाकात की थी।

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