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    #NewsBytesExplainer: पुराने संसद भवन का इतिहास और नई संसद बनने के बाद इसका क्या होगा?
    पुराने संसद भवन का क्या होगा?

    #NewsBytesExplainer: पुराने संसद भवन का इतिहास और नई संसद बनने के बाद इसका क्या होगा?

    लेखन नवीन
    May 25, 2023
    07:34 pm

    क्या है खबर?

    भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में संसद का बहुत महत्व है। देश के मौजूदा संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था, जिसे उस वक्त 'हाउस ऑफ पार्लियामेंट' कहा जाता था।

    अब इसकी जगह लेने के लिए नया संसद भवन तैयार हो गया है, जिसका 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे।

    आइये जानते हैं कि भारत के पुराने संसद भवन का क्या इतिहास रहा और अब नई संसद बनने के बाद इस इमारत का क्या होगा।

    निर्माण

    पुराने संसद भवन का कब हुआ था निर्माण?

    ब्रिटिश काल के दौरान 12 फरवरी, 1921 को पुराने संसद भवन का शिलान्यास हुआ था। इसका निर्माण 6 सालों तक चला और यह 1927 में बनकर तैयार हुआ।

    18 जनवरी, 1927 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इस संसद भवन का उद्घाटन किया था। इरविन 1926 से 1931 तक भारत के वायसराय रहे।

    इस संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था।

    लागत

    पुराने संसद भवन को बनाने में कितना खर्च आया था?

    दिल्ली में 24,281 वर्ग मीटर में मौजूदा संसद भवन का निर्माण हुआ था और उस वक्त इसे बनाने में 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। इसे उस वक्त 'हाउस ऑफ पार्लियामेंट' कहा जाता था, जिसमें ब्रिटिश परिषद काम करती थी।

    देश को आजादी मिलने और 1950 में संविधान बनने के बाद इस इमारत को संसद भवन कहा जाने लगा, लेकिन जब जगह की जरूरत पड़ी तो 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गईं।

    इमारत

    वृत्ताकार है संसद भवन

    मौजूदा संसद भवन वृत्ताकार है और इसका व्यास 560 फीट है। इसकी परिधि 536.33 मीटर है और इसका क्षेत्रफल लगभग 6 एकड़ है। इसके प्रथम तल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तंभ लगे हुए हैं, जिनकी ऊंचाई 27 फीट है।

    ये स्तंभ इस इमारत को भव्यता प्रदान करते हैं। पूरा संसद भवन लाल बालुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें लोहे के 12 प्रवेश द्वार लगे हुए हैं।

    जानकारी

    कब हुआ राज्यसभा का गठन?

    भारत में 3 अप्रैल, 1952 को काउंसिल आफ स्टेट्स का गठन किया गया, जिसका नाम 23 अगस्त, 1954 को बदलकर राज्यसभा कर दिया गया। राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया था और राज्यसभा के पहले सभापति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।

    पहला सत्र

    संसद में कब बुलाया गया था पहला सत्र?

    देश में पहले आम चुनाव के बाद 7 अप्रैल, 1952 में पहली लोकसभा का गठन हुआ था, जिसमें उस वक्त कुल 489 सीटें थीं। इसके बाद संसद (राज्यसभा और लोकसभा) का पहला सत्र 13 मई, 1952 को बुलाया गया।

    उस वक्त लोकसभा स्पीकर जीवी मावलंकर ने निर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई, लेकिन सभी सांसदों को शपथ नहीं दिलाई जा सकी।

    पहले दिन शपथ लेने वालों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे।

    हमला

    मौजूद संसद पर 2001 में हो चुका है आतंकी हमला 

    मौजूदा संसद साल 2001 में एक आतंकवादी हमले का दंश भी झेल चुकी है, जिसने उस वक्त पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

    पाकिस्तान में पोषित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हथियारबंद आतंकवादियों ने 13 दिसंबर, 2001 को कार के जरिए संसद पर हमला कर दिया था, जिसमें दिल्ली पुलिस के 6 जवानों समेत कुल 9 कर्मचारियों की मौत हो गई थी।

    सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए 5 आतंकवादियों को ढेर कर दिया था।

    इमारत

    नया संसद भवन बनने के बाद मौजूद इमारत का क्या होगा?

    नया भवन बनने के बाद मौजूदा संसद भवन को तोड़ा नहीं जाएगा और एक ऐतिहासिक संपत्ति होने के नाते इसका संरक्षण किया जाएगा। केंद्र सरकार के मुताबिक, पुराने संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और कायाकल्प राष्ट्रीय महत्व का विषय है।

    केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 2021 में बताया था कि नया संसद भवन तैयार हो जाने के बाद मौजूदा भवन की मरम्मत की जाएगी और इसका इस्तेमाल वैकल्पिक कार्यों के लिए किया जाएगा।

    संग्रहालय

    पुराने संसद भवन को बनाया जा सकता है संग्रहालय

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा संसद भवन के एक हिस्से को एक संग्रहालय में परिवर्तित किया जा सकता है।

    अभी राष्ट्रीय संग्रहालय, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में रखी हुईं कुछ पेंटिंग्स, मूर्तियों, पांडुलिपियां और अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कलाकृतियों को भी संग्रहालय में स्थानांतरित किया जा सकता है।

    इंडिया टुडे के मुताबिक, यदि यह संग्रहालय अस्तित्व में आता है तो लोग लोकसभा कक्ष में बैठने का अनुभव भी प्राप्त कर पाएंगे।

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