#NewsBytesExplainer: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के ऊपर लगा NSA, जानें क्या है यह कानून
पंजाब सरकार ने मंगलवार पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट को बताया कि खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले अमृतपाल के चाचा समेत 5 करीबी सहयोगियों पर भी NSA के तहत कार्रवाई की गई थी, जिन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा जा चुका है। आइए जानते हैं कि NSA क्या होता है और इसके क्या प्रावधान हैं।
क्या होता है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत अगर किसी व्यक्ति से देश या उसके लोगों को किसी खास तरीके का खतरा दिखता है, तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। NSA का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को अपराध करने या अभियोजन से बचने से रोकने के लिए हिरासत में लेने के लिए भी किया जाता है। अगर संक्षेप में कहा जाए तो कानून सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार प्रदान करता है।
भारत में कब लागू हुआ था NSA?
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली आजाद भारत की पहली सरकार वर्ष 1950 में प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट लेकर आई। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा बिल 23 सितंबर, 1980 को संसद के दोनों सदनों में पारित हुआ था। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने 27 सितंबर, 1980 को बिल को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद यह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA), 1980 बन गया।
क्या है NSA का ब्रिटिशकालीन इतिहास?
बता दें कि NSA की जड़ें ब्रिटिश राज में बनाए गए प्रिवेंटिव कानून में है, जिसके तहत किसी घटना के होने से पहले ही संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा सकता है। अंग्रेजों ने 1881 में बंगाल रेगुलेशन थर्ड नाम का कानून बनाया था, जिसमें घटना से पहले ही किसी आंदोलनकारी की गिरफ्तारी की व्यवस्था थी। उसी क्रम में वर्ष 1919 में रॉलेट एक्ट लाया गया, जिसमें गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सुनवाई तक की छूट नहीं मिलती थी।
NSA को किन स्थितियों में किया जा सकता है लागू?
NSA को किसी व्यक्ति को भारत की रक्षा, विदेशी शक्तियों के साथ भारत के संबंधों या भारत की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रसित होने से रोकने के लिए लागू किया जा सकता है। वहीं इस कानून को किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी दूसरे समुदाय के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं का प्रतिकूल तरीके से इस्तेमाल करने से रोकने के लिए भी लागू किया जा सकता है।
किन मौकों पर हिरासत में लिया जा सकता है व्यक्ति?
बता दें कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही पुलिस हिरासत में है, तब भी जिलाधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट उसके खिलाफ NSA लगा सकते हैं। वहीं यदि किसी व्यक्ति को अदालत द्वारा जमानत दी गई है, तब भी उसे NSA के तहत तुरंत दोबारा हिरासत में लिया जा सकता है। NSA के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को आपराधिक अदालत के समक्ष जमानत अर्जी दायर करने का भी अधिकार नहीं मिलता है।
NSA के तहत कितनी सजा का प्रावधान है?
NSA के मुताबिक, किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए जमानत के बिना पुलिस की हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि आरोपी व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए उसके ऊपर कोई आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती और उसकी हिरासत की समय अवधि को अधिकतम 12 महीने तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।
NSA के तहत आरोपी व्यक्ति के पास क्या अधिकार हैं?
संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत आरोपी शख्स को कुछ परिस्थितियों में हिरासत और गिरफ्तारी खिलाफ सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है। हालांकि, अनुच्छेद 22(3) में कहा गया है कि गिरफ्तार व्यक्ति को दिए गए अधिकार प्रिवेंटिव हिरासत की स्थिति में लागू नहीं होते हैं। वहीं अनुच्छेद 22(5) के मुताबिक हिरासत में लिए गए सभी व्यक्तियों को एक स्वतंत्र सलाहकार बोर्ड के सामने अपना प्रतिनिधित्व करने का अधिकार भी दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट NSA के दुरुपयोग पर कर चुका है टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई मामलों में NSA का दुरुपयोग किए जाने को लेकर टिप्पणी कर चुका है। कोर्ट ने कहा था कि इस संभावित खतरनाक शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए निवारक निरोध के कानून को सख्ती से लागू करने के साथ-साथ प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का सावधानीपूर्वक अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। दरअसल, केंद्र सरकार या राज्य सरकार को NSA के तहत कार्रवाई करने के कारण को स्पष्ट करना जरूरी है।
NSA को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों के मुताबिक, NSA के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार और कानूनी व्यवसायी से परामर्श करने के उसके अधिकार के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। वहीं मानवाधिकार समूह कई बार आरोप लगा चुके हैं कि NSA संविधान के अनुच्छेद 22 और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उनका मानना है कि सरकार अपने विरोधियों का दमन करने के लिए NSA का इस्तेमाल करती है।