#NewsBytesExplainer: कौन है खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह, जिसे कहा जाता है 'भिंडरांवाले 2.0'?
गुरुवार को पंजाब के अजनाला में पुलिस और खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के समर्थकों के बीच बड़ी झड़प हुई। तलवार और बंदूकों से लैस इन लोगों ने पुलिस थाने पर हमला किया, जिसमें कई पुलिस वाले घायल हो गए। इस पूरे हंगामे के पीछे 29 साल के खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह का नाम सामने आ रहा है, जिसने कुछ वक्त पहले ही 'वारिस पंजाब दे' की कमान संभाली है। चलिए उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
सबसे पहले जानिए गुरुवार को क्या हुआ
गुरुवार 23 फरवरी को पंजाब के अजनाला पुलिस थाने को 'वारिस पंजाब दे' संगठन के हजारों लोगों ने घेर लिया। हाथों में तलवार, बंदूक और लाठियां लिए ये लोग थाने में घुसने की कोशिश करने लगे। इस दौरान करीब 3 पुलिसवालों को चोटें आईं। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी, लेकिन लोगों ने उसे उखाड़ फेंका। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि इस दौरान 10-12 लोग घायल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने थाना क्यों घेरा था?
मामले की शुरुआत 15 फरवरी को हुई। इस दिन अजनाला में बरिंदर सिंह के साथ अमृतपाल और उसके साथियों ने मारपीट की। बाद में पुलिस ने बरिंदर सिंह की शिकायत पर अमृतपाल सिंह, लवप्रीत सिंह तूफान और बाकी लोगों पर केस दर्ज किया। 18 फरवरी को पुलिस ने लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार किया, जिसे छुड़ाने के लिए ही अमृतपाल के आह्वान पर भीड़ ने थाना घेर लिया। मामला बढ़ता देख पुलिस ने लवप्रीत तूफान को रिहा करने का फैसला लिया।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर के जादूखेड़ा गांव में हुआ है। शुरुआती पढ़ाई के बाद वो रोजगार की तलाश में दुबई चला गया, जहां परिवार के साथ ट्रांसपोर्ट का कामकाज करने लगा। अमृतपाल पिछले साल ही दुबई से लौटा था और अपनी दमदार भाषण शैली की वजह से जल्द ही लोकप्रिय हो गया। उसे पिछले साल ही 'वारिस पंजाब दे' संगठन का प्रमुख चुना गया था।
इसी महीने हुई है अमृतपाल की शादी
अमृतपाल सिंह ने 10 फरवरी को बाबा बकाला के एक गुरुद्वारे में ब्रिटेन की रहने वाली NRI किरणदीप कौर से शादी की है। किरणदीप का परिवार जालंधर का बताया जाता है, लेकिन कुछ समय पहले इंग्लैंड में बस गया था। एक इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया कि क्या वो पत्नी के साथ इंग्लैंड जाएगा तो उसने कहा कि बिल्कुल नहीं और शादी के बाद उनकी पत्नी पंजाब में ही रहेगी।
भिंडरावाले का बड़ा समर्थक है अमृतपाल
अमृतपाल सिंह की तुलना खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले से भी की जाती है और उसे 'भिंडरांवाले 2.0' कहा जाता है। वो भिंडरांवाले की तरह ही गोल नीली पगड़ी पहनता है। हालांकि, उसने इस बात को नकारा है। 'वारिस पंजाब दे' संगठन की पहली वर्षगांठ पर मोगा जिले के रोडे गांव में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसी कार्यक्रम में अमृतपाल को संगठन का प्रमुख बनाया गया था। ये गांव भिंडरांवाले का पैतृक गांव है।
'वारिस पंजाब दे' संगठन क्या है?
इस संगठन को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने पंजाबी हितों के संरक्षण और सामाजिक कार्यों के लिए बनाया था। सिद्धू किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद चर्चा में आए थे। 15 फरवरी, 2022 को उनकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिसके बाद अमृतपाल सिंह को संगठन का प्रमुख बनाया गया। अमृतपाल ने युवाओं को ध्यान में रख संगठन की वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू किया।
खालिस्तानी भावनाएं रहेंगी, हम हिंसा चुनेंगे- अमृतपाल
अपनी मानसिकता का परिचय देते हुए थाने पर हमले के बाद अमृतपाल सिंह ने कहा था, "राष्ट्रवाद पवित्र नहीं है। लोकतंत्र को लेकर अलग-अलग विचार होने चाहिए। खालिस्तान रहेगा, आप इसे दबा नहीं सकते। खालिस्तान को लेकर हमारे उद्देश्य को किसी बुराई की जगह एक बौद्धिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। हम हिंसा चुनेंगे, ये जानते हुए भी कि हिंसा हमें ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी। मैं किसी भ्रम में नहीं हूं, लेकिन यहां बैठे-बैठे हमारे लोगों को मरने नहीं दूंगा।"
किन-किन मामलों में चर्चा में रहा है अमृतपाल?
अमृतपाल ने पिछले साल समर्थकों के साथ जालंधर के मॉडल टाउन गुरुद्वारे की कुर्सियां और सोफे फाड़ दिए थे। उसका कहना था कि इंसान गुरुग्रंथ साहिब के बराबर नहीं बैठ सकते और ये धर्म के खिलाफ है। इसके बाद सोफे और कुर्सियों में आग लगा दी गई। हाल ही में अमृतपाल ने गृह मंत्री अमित शाह को धमकी देते हुए कहा था कि उनका भी वही हाल होगा, जो इंदिरा गांधी का हुआ था।
मामले पर पंजाब पुलिस क्या कर रही है?
अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह ने लवप्रीत तूफान को छोड़ने का ऐलान करते वक्त कहा था कि मामले की जांच के लिए SP तेजबीर सिंह हुंदल की अगवाई में विशेष जांच दल (SIT) बना दिया गया है। पंजाब सरकार में मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मामले पर कहा, "पंजाब के लोगों को हमारी सरकार और भगवंत मान पर भरोसा होना चाहिए। हम राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ने नहीं देंगे।"
क्या है पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन का इतिहास?
अलग खालिस्तान की मांग पर पंजाब में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। इससे जुड़ा सबसे बड़ा मामला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का है। 1984 में खालिस्तानी नेता जनरैल सिंह भिंडरांवाले ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था, जिसे छुड़ाने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया। इससे नाराज होकर इंदिरा गांधी के 2 सिख सुरक्षाकर्मियों ने उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।