जानें क्या है दिल्ली पुलिस को मिला राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी का अधिकार
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को अगले तीन महीने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तारी करने की शक्ति दे दी है। 19 जनवरी से 18 अप्रैल के बीच दिल्ली पुलिस किसी भी व्यक्ति पर NSA लगा सकती है। ये शक्ति ऐसे समय पर दी गई है जब दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस ने इसे एक नियमित आदेश बताया है। आखिर NSA है क्या, आइए जानते हैं।
इंदिरा गांधी की सरकार लाई थी NSA
23 सितंबर 1980 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानि NSA लेकर आई थी। ये पूरे देश में लागू होता है और भारत की सुरक्षा और विदेशी देशों के साथ संबंध, कानून व्यवस्था बनाए रखने और किसी विदेशी को भारत से बाहर करने के मामलों में इस कानून का इस्तेमाल हो सकता है। इसके तहत देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा माने जाने वाले एक व्यक्ति को प्रिवेंटिव कस्टडी में रखा जा सकता है।
कठोर प्रावधानों के कारण विवादों में रहता है NSA
अपने बेहद कठोर प्रावधानों और पुलिस को अत्यधिक शक्तियां देने के कारण NSA हमेशा ही विवादों में रहा है। इसके तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को वो अधिकार प्राप्त नहीं होते जो अन्य मामलों में हिरासत में लिए गए लोगों को मिलते हैं।
सामान्य मामलों में गिरफ्तार व्यक्ति को मिलते हैं ये अधिकार
अन्य मामलों में जो लोग हिरासत में लिए जाते हैं, पुलिस को उन्हें उनकी गिरफ्तारी का कारण बताना होता है और उनके पास जमानत दाखिल करने का अधिकार होता है। इन लोगों को हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के अंदर कोर्ट के सामने पेश करना अनिवार्य होता है। संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत उन्हें सलाह लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है और वो अपनी पसंद का वकील चुन सकते हैं।
NSA के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को नहीं मिलते ये अधिकार
लेकिन NSA के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को इनमें से कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं होता। पुलिस उसे उसकी गिरफ्तारी का कारण बताए बिना पांच दिन और कुछ अपवाद मामलों में 10 दिन तक हिरासत में रख सकती है। अगर गिरफ्तारी का कारण बताना भी होता है तो पुलिस उस सूचना को गुप्त रख सकती है जिसे सार्वजनिक करना जनहित में नहीं है और ऐसा करना देश की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है।
बिना आरोप तय किए एक साल जेल में रख सकती है पुलिस
NSA के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर कोर्ट के सामने पेश करना भी जरूरी नहीं है और पुलिस आरोप तय किए बिना उसे एक साल तक जेल में रख सकती है। गिरफ्तार व्यक्ति को एक हाई कोर्ट एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपील करने का अधिकार होता है, जिसका गठन सरकार करती है। हालांकि बोर्ड में सुनवाई के दौरान उसे किसी भी वकील की मदद लेने की इजाजत नहीं होती।
NCRB रिपोर्ट में नहीं होते NSA संबंधी आंकड़े
NSA के तहत किस साल कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया इसे लेकर कोई भी निश्चित आंकड़ा नहीं है क्योंकि अपराध के आंकड़े इकट्ठा करने वाली राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में NSA संबंधी आंकड़े शामिल नहीं होते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि NSA के मामलों में कोई भी FIR दर्ज नहीं की जाती है। हालांकि विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा NSA का दुरुपयोग कर अपने आलोचकों या विरोधियों को गिरफ्तार करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं।
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर लगाया गया था NSA
हालिया समय में NSA के तहत गिरफ्तार किए गए सबसे चर्चित मामलों में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का मामला शामिल है। 2017 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा के बाद उन पर कई महीनों के लिए NSA लगाया गया था।
उपराज्यपाल के आदेश में कुछ नया नहीं
दिल्ली के उपराज्यपाल ने NSA लगाने की जो शक्तियां दिल्ली पुलिस को दी हैं, उनमें कुछ नया नहीं है। कानून में पहले से ही इसका प्रावधान है, लेकिन इसे लेकर हर तीन महीने पर दोबारा नोटिस जारी करना होता है क्योंकि एक बार में तीन महीने से ज्यादा समय के लिए NSA नहीं लगाया जा सकता। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर और जुलाई में भी ऐसे ही आदेश जारी किए गए थे।