यहां पढ़िये नागरिकता कानून और NRC को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि नागरिकता कानून धर्म के आधार भेदभाव करता है और यह देश के संविधान के खिलाफ है। उनका मानना है कि सरकार नागरिकता कानून के बाद पूरे देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) लागू करेगी। इससे बाहर हुए सभी मुस्लिम लोगों को छोड़कर सभी को नागरिकता कानून के तहत नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन मुस्लिमों को परेशानियों से गुजरना पड़ेगा।
सरकार का इस बारे में क्या कहना है?
दरअसल, गृहमंत्री अमित शाह कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि सरकार देशभर में NRC लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि सरकार पहले नागरिकता कानून और उसके बाद NRC लाएगी। नागरिकता विधेयक पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने संसद में भी इस बात को दोहराया था कि देशव्यापी NRC लागू किया जाएगा। अब नागरिकता कानून लागू हो चुका है और माना जा रहा है कि सरकार अब NRC लागू करने के लिए कदम उठाएगी।
सरकार ने लोगों से बहकावे में न आने की अपील की
गुरुवार को हो रहे प्रदर्शनों से पहले सरकार ने कहा था कि लोग बहकावे में आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। शाम तक सरकारी सूत्रों ने नागरिकता कानून और NRC को लेकर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब जारी किये थे, जो निम्नलिखित हैं।
क्या NRC और CAA जुड़े हुए हैं?
सरकार का कहना है कि NRC अलग प्रक्रिया है और CAA अलग कानून है। CAA संसद से पारित होने के बाद लागू हो चुका है, जबकि NRC के लिए अभी नियम नहीं बने हैं। असम में NRC की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश और असम समझौते के आधार पर चल रही है। सरकार का कहना है कि किसी भी भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की जरूरत नहीं है।
क्या NRC सिर्फ मुसलमानों के लिए होगा?
सरकार का कहना है कि NRC का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह सभी नागरिकों के लिए होगा। यह एक रजिस्टर है, जिसमें देश के सभी नागरिकों को अपना नाम दर्ज कराना होगा। सरकार ने कहा कि NRC धर्म के बारे में नहीं है। देशभर में NRC जब लागू किया जाएगा तो यह धर्म के आधार पर लागू नहीं किया जाएगा और न ही इसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है।
क्या NRC के जरिए मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगा जाएगा?
सरकार का कहना है कि अभी तक NRC लागू होने की औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है और न ही कोई नियम या कानून बने हैं। अगर भविष्य में यह लागू किया जाता है तो यह नहीं समझा जाना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का सबूत मांगा जाएगा। सरकार ने NRC को आधार कार्ड या दूसरा सरकारी दस्तावेज बनवाने जैसी प्रक्रिया बताया है। इसके लिए नागरिकों को पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज जमा करवाने होंगे।
नागरिकता कैसे दी जाती है?
सरकार का कहना है कि नागरिकता नियम 2009 के तहत किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तय की जाएगी। ये नियम नागरिकता कानून, 1955 के आधार पर बना है। किसी भी व्यक्ति के लिए भारत का नागरिक बनने के पांच तरीके हैं- 1. जन्म के आधार पर नागरिकता 2. वंश के आधार पर नागरिकता 3. पंजीकरण के आधार पर नागरिकता 4. देशीयकरण के आधार पर नागरिकता 5. भूमि विस्तार के आधार पर नागरिकता
NRC लागू होने पर हमें माता-पिता के जन्म का विवरण उपलब्ध कराना पड़ेगा?
सरकार के अनुसार आपको अपने जन्म का विवरण जैसे जन्म की तारीख, माह, साल और स्थान के बारे में जानकारी देना पर्याप्त होगा। अगर आपके पास अपने जन्म का विवरण उपलब्ध नहीं है तो आपको अपने माता-पिता के बारे में यही विवरण उपलब्ध कराना होगा, लेकिन कोई भी दस्तावेज माता-पिता के द्वारा ही प्रस्तुत करने की अनिवार्यता बिल्कुल नहीं होगी। जन्म की तारीख और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है।
इन दस्तावेजों के मान्य होने की संभावना
सरकार का कहना है कि अभी तक दस्तावेजों को लेकर नियम नहीं बने हैं, लेकिन इसके लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, जमीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है। इन दस्तावेजों की सूची ज्यादा लंबी होने की संभावना है ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशानी न उठानी पड़े।
अगर NRC लागू हुआ तो क्या 1971 से पहले की वंशावली साबित करनी होगी?
सरकार का कहना है कि 1971 के पहले की वंशावली के लिए आपको किसी प्रकार के पहचान पत्र या माता-पिता/पूर्वजों के जन्म प्रमाण पत्र जैसे किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है। यह 'असम समझौता' और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आदेश पर केवल असम NRC के लिए मान्य था। बाकी हिस्सों के लिए The Citizenship (Registration of Citizens and Issue of National Identity Cards) Rules, 2003 के तहत NRC की प्रक्रिया अलग है।
अगर पहचान साबित करना आसान है, तो असम में 19 लाख लोग बाहर क्यों हुए?
सरकार ने कहा कि असम की समस्या को पूरे देश से जोड़ना ठीक नहीं है। वहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। इसके विरोध में वहां 6 वर्षों तक आंदोलन चला। इस घुसपैठ की वजह से राजीव गांधी सरकार को 1985 में एक समझौता करना पड़ा था। इसके तहत घुसपैठियों की पहचान करने के लिए 25 मार्च, 1991 को कट ऑफ डेट माना गया, जो NRC का आधार बना।
क्या NRC के लिए मुश्किल और पुराने दस्तावेज मांगे जाएंगे?
पहचान प्रमाणित करने के लिए बहुत सामान्य दस्तावेज की जरूरत होगी। राष्ट्रीय स्तर पर NRC की घोषणा होती है तो उसके लिए सरकार ऐसे नियम और निर्देश तय करेगी, जिससे किसी को कोई परेशानी न हो।
अगर किसी के पास संबंधित दस्तावेज नहीं हैं तो क्या होगा?
सरकार का कहना है कि इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे। साथ ही अन्य सबूतों और कम्यूनिटी वेरिफिकेशन आदि की भी अनुमति देंगे। एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा। सरकार ने कहा है कि NRC किसी ट्रांसजेंडर, नास्तिक, आदिवासी, दलित, महिला और भूमिहीन लोगों को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करेगी।
ऐसे लोगों की पहचान कैसे होगी?
सरकार ने कहा है कि जिनके पास घर नहीं हैं, जो लोग गरीब और पढ़े-लिखे नहीं हैं वो लोग किसी न किसी आधार पर वोट डालते हैं। उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। इसी आधार पर उनकी पहचान होगी।