
उत्तर प्रदेश: गर्भ में लड़की होने के कारण व्यक्ति ने दिया पत्नी को तीन तलाक
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में तीन तलाक का एक ऐसा मामला सामने आया है जो पितृसत्तात्मक समाज की कई परतें एक साथ खोलता हैं।
यहां एक व्यक्ति को जब पता चला कि उसकी पत्नी के गर्भ में बेटी है तो उसने उसका गर्भपात करा दिया।
बाद में उसने अपनी पत्नी को तीन तलाक भी दे दिया। महिला पहले ही दो लड़कियों को जन्म दे चुकी थी।
व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।
मामला
व्यक्ति ने कराया पत्नी का लिंग निर्धारण टेस्ट
मामला मुजफ्फरनगर के छपरा का है। पुलिस के अनुसार, पहले दो बेटियों को जन्म दे चुकी फर्जाना के फिर से गर्भवती होने पर उसके पति गालिब ने उसका लिंग निर्धारण टेस्ट कराया।
इस टेस्ट से पता चलता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की। लड़कियों की भ्रूण हत्या में इसके उपयोग के कारण लिंग निर्धारण टेस्ट देश में प्रतिबंधित है।
इस टेस्ट से गालिब को पता चला कि उसकी पत्नी के गर्भ में लड़की है।
तीन तलाक
पहले किया गर्भपात को मजबूर, फिर दिया तीन तलाक
फर्जाना के गर्भ में लड़की होने की बात पता चलेने पर गालिब ने उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया।
पुलिस के अनुसार, बाद में गालिब ने तीन तलाक के जरिए फर्जाना को तलाक दे दिया। तीन साल पहले ही दोनों की शादी हुई थी।
पुलिस ने मामले में गालिब और नौ अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, उनमें फर्जाना की ससुरालजन भी शामिल हैं।
अन्य मामले
पहले भी सामने आ चुके हैं तीन तलाक के ऐसे मामले
लड़की को जन्म देने के लिए तीन तलाक देने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।
पिछले महीने अक्टूबर में एक ऐसे ही मामले में उत्तर प्रदेश के संभल के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के पांचवीं लड़की को जन्म देने के बाद उसे फोन पर ही तलाक दे दिया था।
इससे पहले अगस्त में बिहार के सपौल में महिला के जुड़वां बच्चियों को जन्म देने पर उसके पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया था।
तीन तलाक कानून
कानूनी अपराध है तत्काल तीन तलाक
तत्काल तीन तलाक के इसी दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्र सरकार इस पर कानून लेकर आई है।
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम और आमतौर पर तीन तलाक कानून के नाम से चर्चित इस कानून में तत्काल तीन तलाक को कानूनी अपराध घोषित करते हुए तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
संसद ने एक अगस्त को इससे जुड़े बिल को मंजूरी दी थी जो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बना।