भाजपा नेता मनोज तिवारी बोले- दिल्ली में स्थिति खतरनाक, यहां भी लागू हो NRC
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की अंतिम सूची जारी होने के बाद भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली में भी NRC लागू करवाने की मांग की। भोजपुरी अभिनेता और दिल्ली से सांसद तिवारी ने इसकी तारीफ करते हुए कहा कि इसे दिल्ली में भी लागू करने की जरुरत है। उनके बयान के बाद विपक्षी दलों ने उन पर निशाना साधा है। बता दें, NRC की अंतिम सूची से 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली है।
तिवारी ने क्या कहा?
NRC के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में तिवारी ने कहा, "दिल्ली में भी NRC की जरूरत है क्योंकि यहा स्थिति खतरनाक होती जा रही है। घुसपैठिए जो यहां बस गए हैं वे सबसे खतरनाक हैं। हम इसे यहां (दिल्ली) भी लागू करेंगे।"
क्या है NRC?
असम में आने वाले अवैध घुसपैठियों पर बढ़े विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने को कहा था। इसका पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। इसकी सूची में नाम आने का मतलब है कि वह व्यक्ति असम का निवासी है। असम देश का एकमात्र राज्य है, जहां यह व्यवस्था लागू है। सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने का आदेश दिया था ताकि बोनाफाइड नागरिकों की पहचान हो और अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला जा सके।
अपने बयान पर घिरे तिवारी
तिवारी ने जैसे ही यह बयान दिया, लोगों ने उन्हें निशाने पर लेना शुरू कर दिया। उन पर निशाना साधते हुए अखिल भारतीय महिला कांग्रेस ने कहा कि प्रवासियों को निकालने की बात करने वाले तिवारी खुद एक प्रवासी है।
किस तरफ है तिवारी का निशाना?
दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि कांग्रेस के कमजोर होने के कारण दिल्ली के मैदान में भाजपा और आम आदमी पार्टी आमने-सामने होंगी। माना जा रहा है कि तिवारी ने यह बयान दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को ध्यान में रखकर दिया है। इन लोगों को आम आदमी पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। ऐसे में तिवारी ने अपने बयान से एक संदेश देने की कोशिश की है।
असम के मंत्री बोेले- और लोगों को बाहर रखा जाना चाहिए था
NRC की पैरोकार रही भाजपा इसकी अंतिम सूची से खुश नहीं है और सुप्रीम कोर्ट जाने का विचार कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और असम के वित्त मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि अंतिम सूची में खामियां हुई हैं। और अधिक लोगों को इससे बाहर रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि असम से एक-एक विदेशी को बाहर निकालने तक उनकी पार्टी की लड़ाई जारी रहेगी। सूची के रिवीजन के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए 19 लाख लोग
शनिवार को जारी हुई NRC की अंतिम सूची से कुल 3.3 करोड़ आवेदकों में से लगभग 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया है। NRC के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3.11 करोड़ लोगों को अंतिम सूची में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर किया गया है। असंतुष्ट लोग फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल कर सकते हैं। इन मामलों के जल्दी निपटान के लिए केंद्र सरकार ने 400 फॉरनर्स ट्रिब्यूनल खोलने की बात कही है।
31 दिसंबर तक ट्रिब्यूनल मे जाने का मौका
NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए लोगों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 120 दिनों का समय दिया गया है। यानी ऐसे लोग 31 दिसंबर तक फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं। अगर उन्हें यहां से फैसले पर संतुष्टि नहीं होती है तो वो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगी। ऐसे में अंतिम सूची उनके लिए अंतिम फैसला नहीं है।