
लोकसभा चुनाव: 347 सीटों के चुनाव नतीजों में विसंगतियों का आरोप, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर 347 लोकसभा सीटों के चुनाव नतीजों में विसंगतियों का मामला उठाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि 347 लोकसभा सीटों के अंतिम नतीजों और चुनाव आयोग द्वारा दी गई प्रोविजनल लिस्ट में अंतर है। छह सीटों पर यह अंतर जीत के अंतर से ज्यादा है।
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन (NGO) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कॉमन कॉज ने संयुक्त रूप से याचिका दायर की है।
जानकारी
कब हुए थे लोकसभा चुनाव?
लोकसभा चुनाव 2019 अप्रैल से मई के बीच सात चरणों में पूरे हुए थे। 23 मई को चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीट जीत कर (NDA 353) लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई थी।
याचिका
याचिका में चुनाव आयोग पर लगा आरोप
दोनों NGO ने अपने वकील प्रशांत भूषण के जरिए याचिका दी कि चुनाव आयोग ने इस बार मतदान की रियल टाइम जानकारी के लिए 'माई वोटर टर्नआउट ऐप' जारी की थी। यह ऐप हर लोकसभा सीट पर मतदान की जानकारी दे रही थी।
आयोग ने इस ऐप पर छह चरणों तक हर बूथ से मतदान का रियल टाइम डाटा पब्लिश किया था, लेकिन सातवें चरण में उसने केवल प्रतिशत में डाटा पब्लिश किया और पुराना डाटा हटा लिया।
याचिका
छह सीटों पर अंतर हार-जीत के अंतर से ज्यादा
याचिका में कहा गया है कि विशेषज्ञों ने अपनी समीक्षा में पाया है कि वोटों की अंतिम गिनती और चुनाव आयोग द्वारा पहले दी गई मतदान की जानकारी में बड़ा अंतर है।
इसमें कहा गया है कि 347 सीटों पर चुनाव आयोग की वेबसाइट और 'माई वोटर टर्नआउट ऐप' के जरिए मिले डाटा और चुनाव आयोग के अंतिम नतीजों में एक वोट से लेकर 1,01,323 वोट का अंतर है। छह सीटों पर यह अंतर हार-जीत के अंतर से ज्यादा है।
आरोप
चुनाव आयोग ने RTI में नहीं दी जानकारी- याचिका
याचिका के मुताबिक, आंध्र प्रदेश की गुंटुर और विशाखापट्टनम, जम्मू-कश्मीर की अनंंतनाग, झारखंड की खुंटी, ओडिशा के कोरापुट और उत्तर प्रदेश की मछलीशहर लोकसभा सीटों पर यह अंतर हार-जीत के अंतर से ज्यादा है। इन विसंगतियों का किसी पार्टी के साथ कोई संबंध नहीं है।
NGO ने याचिका में कहा कि उन्होंने इस संबंध में चुनाव आयोग से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया।
मांग
मामले की जांच की मांग
याचिका में कहा गया है कि चुनावों का नतीजा 23 मई को घोषित कर दिया गया था, लेकिन एक जून को चुनाव आयोग ने यहा बात मानी थी कि उसे 542 सीटों से वोटों की गिनती का इंडेक्स फॉर्म नहीं मिला है।
ऐसे में आयोग ने वोटों की सटीक गिनती और विसंगतियों के मिलाप के बिना प्रोविजनल डाटा के आधार पर नतीजे घोषित किए थे।
इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग इस मामले की जांच करवाए।