राज्यसभा में विपक्ष में बैठेगी शिवसेना, आज होने वाली NDA की बैठक में नहीं लेगी हिस्सा
महाराष्ट्र में सत्ता बंटवारे को लेकर लड़ाई के बाद केंद्र की मोदी सरकार से बाहर निकलने वाली शिवसेना ने अब राज्यसभा में विपक्ष में बैठने का फैसला लिया है। इसके लिए राज्यसभा में सांसदों की बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। इसके अलावा सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले आज होने वाली भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA की बैठक में भी शिवसेना हिस्सा नहीं लेगी।
संजय राउत ने दी शिवसेना के विपक्ष में बैठने की जानकारी
राज्यसभा में शिवसेना सांसदों के विपक्ष में बैठने की जानकारी देते हुए पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा, "हमें पता चला है कि संसद में दो शिवसेना सांसदों के बैठने की व्यवस्था बदली गई है।" राज्यसभा में शिवसेना के राउत समेत कुल तीन सांसद हैं। इनमें से राउत और अनिल देसाई विपक्ष में बैठेंगे। क्या लोकसभा में भी शिवसेना सांसद विपक्ष में बैठेंगे, इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है।
NDA की बैठक में भी हिस्सा नहीं लेगी शिवसेना
इसके अलावा आज भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA की बैठक भी होनी है। सोमवार से संसद का नया सत्र शुरू हो रहा है और इसी के मद्देनजर ये बैठक होगी। लेकिन शिवसेना ने इस बैठक में भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। राउत ने कहा, "मुझे पता चला है कि 17 नवंबर को NDA की बैठक है। महाराष्ट्र की स्थिति को देखते हुए हमने पहले ही इसमें हिस्सा न लेने का फैसला ले लिया था।"
राउत बोले, पुराने और नए NDA में बहुत अंतर
इस दौरान राउत ने कहा कि पुराने और नए NDA में बहुत अंतर है। उन्होंने पूछा, "आज NDA का संयोजक कौन है? आडवाणी जी, जो इसके संस्थापकों में थे, ने या तो इसे छोड़ दिया है या निष्क्रिय हैं।" उनसे जब पूछा गया कि क्या अब NDA को छोड़ने को लेकर शिवसेना की ओर से केवल आधिकारिक घोषणा की कसर रह गई है तो उन्होंने कहा कि आप ऐसा कह सकते हैं और ऐसा कहने में कोई दिक्कत नहीं है।
केंद्र सरकार में शामिल रहे शिवसेना के एकमात्र मंत्री भी दे चुके हैं इस्तीफा
बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार में शामिल रहे शिवसेना के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत भी मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। तभी ये संकेत मिल गया था कि महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों के झगड़े का असर केंद्र में रिश्तों पर भी पड़ेगा।
क्यों अलग हुईं भाजपा और शिवसेना की राहें?
दरअसल, भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव गठबंधन में ही लड़े थे और जनता ने दोनों के गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया था। लेकिन सत्ता के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में सहमति नहीं बना पाई। शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के तहत सत्ता में आधी हिस्सेदारी और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की, लेकिन भाजपा मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं हुई और दोनों पार्टियों की राहें जुदा हो गईं।
कांग्रेस-NCP के साथ सरकार बनाने की कोशिश में जुटी शिवसेना
किसी भी पार्टी के सरकार बनाने में नाकाम रहने के अभी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी हुई है और तीनों के बीच सरकार बनाने का फॉर्मूला लगभग तैयार हो गया है। सोमवार को शरद पवार और सोनिया गांधी इसे लेकर बैठक करेंगे और इसके बाद उद्धव ठाकरे से मिलकरे समझौते पर अंतिम मुहर लगा सकते हैं।