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रविवार को रामलला विराजमान को सौंपी जाएगी फैसले की कॉपी, वकीलों को सम्मानित करेगा VHP

रविवार को रामलला विराजमान को सौंपी जाएगी फैसले की कॉपी, वकीलों को सम्मानित करेगा VHP

Nov 21, 2019
02:22 pm

क्या है खबर?

दशकों से चले आ रहे अयोध्या भूमि विवाद में पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने रामलला विराजमान को विवादित भूमि का मालिकाना हक सौंपा है। आगामी 24 अक्टूबर को इस मामले में रामलला विराजमान का पक्ष रखने वाले वकील केशव परारसण अयोध्या जाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी उनको सौंपेंगे। इस दौरे पर परासरण और उनकी टीम के साथ विश्व हिंदू परिषद (VHP) के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे।

सम्मान

परासरण और उनकी टीम को सम्मानित करेगा VHP

इस दौरे पर VHP परासरण और उनकी टीम को सम्मानित भी करेगा। 92 वर्षीय परासरण समेत लगभग दो दर्जन वकील पहले सम्मान समारोह में भाग लेंगे और उससे अगले दिन राम जन्मभूमि जाकर रामलला विराजमान को फैसले की कॉपी सौंपेंगे। उनका हनुमानगढ़ी मंदिर जाने का भी कार्यक्रम है। अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने बताया कि यह सम्मान समारोह 23 नवंबर को आयोजित किया जाएगा। समारोह में VHP के शीर्ष नेता चंपत राय और दिनेश चंद्र आदि भी शामिल होंगे।

फैसला

रामलला विराजमान को मिला जमीन का मालिकाना हक

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन पर रामलला विराजमान का हक बताया था। कोर्ट ने सरकार से तीन महीनों में ट्रस्ट बनाने को कहा है जो इस जमीन पर मंदिर निर्माण की योजना बनाएगा। आपको बता दें कि रामलला विराजमान कोई ट्रस्ट या संस्था नहीं बल्कि स्वयं भगवान राम के बाल स्वरुप है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को न्यायिक व्यक्ति मानते हुए जमीन का मालिकाना हक उनको दिया है।

के परासरण

परासरण को कहा जाता है 'भारतीय बार की पितामह'

अयोध्या विवादित भूमि मामले में दलील देने वाले के परासरण कानून और हिंदू धर्मशास्त्रों पर अपनी पकड़ के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश उन्हें 'भारतीय बार का पितामह' कह चुके हैं। परासरण ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट की प्रैक्टिस शुरू की थी। 1983-89 के बीच वह अटॉर्नी जनरल रहे। 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से और 2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने पद्म विभूषण से नवाजा था।