असमः NRC की अंतिम सूची जारी, 19 लाख लोग बाहर
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की अंतिम सूची प्रकाशित हो गई है। कुल 3.3 करोड़ आवेदकों में से लगभग 19 लाख लोगों को इसमें जगह नहीं मिली है। राज्यभर में 2,500 से ज्यादा NRC सेवा केंद्र खोले गए हैं, जहां लोग सुबह 10 से शाम चार बजे तक अपने आवेदन की स्थिति जान सकते हैं। इसे NRC की वेबसाइट (www.nrcassam.nic.in) पर भी देखा जा सकता है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
सूची से बाहर लोगों के पास अपील करने का विकल्प
NRC के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3.11 करोड़ लोगों को अंतिम सूची में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर किया गया है। असंतुष्ट लोग फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल कर सकते हैं। इससे पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बनंदा सोनोवाल ने कहा कि जिन लोगों के नाम सूची में नहीं आए हैं उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में जाने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार सूची से बाहर लोगों का उत्पीड़न नहीं होने देगी।
यहां देखिये आधिकारिक बयान
31 दिसंबर तक ट्रिब्यूनल मे जाने का मौका
NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए लोगों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए 120 दिनों का समय दिया गया है। यानी ऐसे लोग 31 दिसंबर तक फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं। अगर उन्हें यहां से फैसले पर संतुष्टि नहीं होती है तो वो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगी। ऐसे में अंतिम सूची उनके लिए अंतिम फैसला नहीं है।
अगर सुप्रीम कोर्ट से भी विदेशी घोषित हुए तो क्या होगा?
अंतिम सूची से बाहर व्यक्ति अगर सभी कानूनी विकल्प आजमाने के बाद भी अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाया तो सरकार ऐसे लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखेगी। अभी इन लोगों को देश से बाहर भेजने की कोई व्यवस्था नहीं बनी है। साथ ही बांग्लादेश सरकार के साथ भारत का ऐसा कोई समझौता नहीं है, जिसके तहत बांग्लादेश ऐसे लोगों को अपने देश में जगह दे। हालांकि, इसके लिए असम सरकार काम कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ था NRC का काम
असम सरकार ने राज्य में 400 फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की स्थापना करेगी, ताकि सूची से बाहर लोगों के मामलों को तेजी से निपटाया जा सके। जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में NRC को अपडेट करने का आदेश दिया था ताकि वह बोनाफाइड नागरिकों की पहचान कर सके और अवैध अप्रवासियों को बाहर निकाला जा सके। इस पर फरवरी 2015 में काम शुरू हुआ।
ऐसे शुरू हुआ था असम में NRC का मुद्दा
बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध घुसपैठियों पर बढ़े विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NRC को अपडेट करने को कहा था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। असम देश का इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है। इसके अंतिम ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं थे, उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प दिया गया था।