अमित शाह ने कहा- अनुच्छेद 371 को टच भी नहीं करेेंगे, जानें क्या है ये अनुच्छेद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को एक बार फिर से आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार कई राज्यों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 371 में कोई बदलाव नहीं करेगी। इस अनुच्छेद में कई राज्यों, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों, के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद स्थानीय लोगों में इस आशंका ने जन्म लिया है कि सरकार अनुच्छेद 371 पर भी कुछ इसी तरीके का फैसला ले सकती है।
शाह बोले, अनुच्छेद 370 को अनुच्छेद 371 से जोड़कर किया जा रहा लोगों को भ्रमित
रविवार को असम के गुवाहटी में पूर्वोत्तर परिषद के 68वें पूर्ण सत्र की बैठक में अमित शाह ने ये आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की आलोचना हो रही है। एक लोकतांत्रिक देश में ऐसा करने का सबको हक है। लेकिन इससे अनुच्छेद 371 को भी जोड़ा जा रहा है और पूर्वोत्तर के राज्यों के नागरिकों को भ्रमित किया जा रहा है। लोगों को पता होना चाहिए कि अनुच्छेद 370 और 371 में बहुत अंतर है।"
"अनुच्छेद 371 को कभी टच नहीं किया जाएगा"
शाह ने साफ किया कि अनुच्छेद 371 संविधान की विशेष व्यवस्था है और केंद्र सरकार इसका सम्मान करती है। उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 स्पष्ट रूप से अस्थायी था और अनुच्छेद 371 में पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए विशेष प्रावाधान की व्यवस्था की गई है। मैंने संसद में भी इसे लेकर स्पष्ट कर दिया था। मैं मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में एक बार फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि 371 को कभी टच नहीं किया जाएगा।"
शाह ने बताया क्यों अनुच्छेद 370 से अलग है अनुच्छेद 371
इससे पहले 6 अगस्त को इसी मुद्दो पर बोलते हुए शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 की तरह अनुच्छेद 371 राज्यों में अलगाववाद को बढ़ावा नहीं देता। उन्होंने कहा, "धारा 371 A के तहत नागालैंड के नागाओं की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं, भूमि और संसाधनों आदि पर वहां की विधानसभा फैसला लेती है। यह अनुच्छेद देश की एकता और अखंडता की राह में बाधक नहीं है। 370 और 371 की तुलना करने का मतलब देश को गुमराह करना है।"
क्या कहता है अनुच्छेद 371?
संविधान के अनुच्छेद 371 में कई राज्यों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्यों, के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। धारा 371 A के तहत नागालैंड को विशेष अधिकार मिले हुए हैं और नागा समुदाय की पारंपरिक प्रथाओं और शासकीय, नागरिक और आपराधिक न्याय संबंधी नियमों को संसद बिना राज्य विधानसभा की मंजूरी के बदल नहीं सकते। इन नियमों के कारण कश्मीर की तरह नागालैंड में भी कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खऱीद सकता।
इन राज्यों को भी मिले हुए हैं विशेषाधिकार
अनुच्छेद 371 के अन्य प्रावधानों के तहत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों, असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम, को भी नागालैंड जैसे विशेष अधिकार मिले हुए हैं। अनुच्छेद 371 के अन्य हिस्सों में महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मणिपुर के लिए भी कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने इन विशेष अधिकारों को लेकर आशंकाएं उपजीं थीं, जिन्हें शाह ने अपने आश्वासन से खत्म करने की कोशिश की है।