#NewsBytesExplainer: EVM और VVPAT की सभी पर्चियों के मिलान से संबंधित मामला क्या है?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के सत्यापन से जुड़ी याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने दायर किया है। इस याचिका में EVM के सभी वोटों का सत्यापन VVPAT से भी करने की मांग की गई है।
आइए समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है।
मांग
ADR ने याचिका में क्या मांग की है?
मार्च, 2023 में ADR ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए EVM में पड़ने वाले सभी वोटों का सत्यापन VVPAT मशीनों से भी किया जाना चाहिए।
फिलहाल हर निर्वाचन क्षेत्र की केवल 5 EVM मशीनों का ही VVPAT से मिलान होता है। ये 5 मशीनें रैंडम तरीके से चुनी जाती हैं। याचिकाकर्ताओं ने 5 की बजाय सभी मशीनों का मिलान करने की मांग की है।
VVPAT
क्या होती है VVPAT मशीन?
VVPAT मशीन EVM से ही जुड़ी हुई होती हैं, जो मतदाता को बताती हैं कि उसने किसे वोट दिया है। EVM में मतदाता जिस पार्टी का बटन दबाता है, उसी पार्टी के चिह्न और प्रत्याशी के नाम की पर्ची मतदाता को VVPAT मशीन में दिखती है।
इससे पता लगता है कि जिसे उम्मीदवार का बटन दबाया गया है, वोट भी उसी को गया है। ये पर्ची 7 सेकंड तक मतदाता को दिखाई देती है।
पर्ची
मतदाता को नहीं मिलती है VVPAT पर्ची
VVPAT की पर्ची 7 सेकंड बाद कटकर मशीन के डिब्बे में गिर जाती है। मतदाता इसे घर नहीं ले जा सकता।
जिस डिब्बे में पर्ची गिरती है, उसे केवल मतदान अधिकारी ही खोल सकते हैं। बाद में इस पर्ची का इस्तेमाल EVM के वोटों से मिलान के लिए किया जा सकता है। यानी मतदाता केवल इस पर्ची को वोट के सत्यापन के लिए देख सकता है, वो भी 7 सेकंड के अंदर-अंदर।
शुरुआत
कब हुई थी VVPAT के इस्तेमाल की शुरुआत?
VVPAT मशीन के इस्तेमाल का विचार पहली बार 2010 में सामने आया। तब चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के तरीके पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक पार्टियों के साथ बैठक की थी।
एक प्रोटोटाइप तैयार होने के बाद जुलाई, 2011 में लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली और जैसलमेर में इसका परीक्षण किया गया था।
2013 में नागालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र के सभी 21 मतदान केंद्रों पर पहली बार VVPAT का उपयोग किया गया था।
मिलान
चुनाव आयोग केवल 5 EVM-VVPAT का मिलान क्यों करता है?
दरअसल, 2018 में चुनाव आयोग ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) को एक फॉर्मूला बनाने को कहा था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि सटीकता को सत्यापित करने के लिए कितनी VVPAT मशीनों का EVM से मिलान जरूरी है।
फरवरी, 2019 में चुनाव आयोग ने हर सीट पर एक VVPAT मशीन की पर्चियों की गिनती अनिवार्य कर दी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हर सीट पर 5 VVPAT पर्चियों की गिनती अनिवार्य कर दी थी।
अंतर
EVM और VVPAT के वोटों में फर्क निकला तो क्या होगा?
VVPAT पर्चियों का सत्यापन मतगणना हॉल में VVPAT मतगणना केंद्र के अंदर किया जाता है। इस केंद्र में केवल अधिकृत कर्मियों को आने की अनुमति होती है।
आमतौर पर VVPAT पर्चियों और EVM के वोटों की संख्या समान होती है। इसके बाद अंतिम परिणाम घोषित किए जाते हैं।
अगर VVPAT और EVM के वोटों में अंतर आ जाए तो नियमानुसार VVPAT की पर्चियों के परिणाम को अंतिम माना जाता है।