
#NewsBytesExplainer: भाजपा के हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने के पीछे क्या कारण?
क्या है खबर?
भाजपा ने चौंकाने वाला बदलाव करते हुए हरियाणा में अपना मुख्यमंत्री बदल दिया है। राज्य में मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया है।
पार्टी की तरफ से ये कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब एक महीने बाद राज्य में लोकसभा चुनाव और साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
आइए ये समझने की कोशिश करते हैं कि भाजपा ने हरियाणा में अपना मुख्यमंत्री क्यों बदला है।
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OBC की लामबंदी की कोशिश
हरियाणा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रमुख चेहरे सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का सबसे बड़ा कारण OBC की लामबंदी माना जा रहा है।
दरअसल, राज्य में 25 प्रतिशत आबादी वाले जाट भाजपा से नाराज हैं, जिससे उसे नुकसान हुआ है। पार्टी की कोशिश की है कि इस नुकसान की भरपाई OBC को लामबंद करके की जाए।
भाजपा पिछले कुछ समय से ये रणनीति अपना रही है और इसमें कामयाब भी रही है। राज्य में लगभग 44 प्रतिशत OBC हैं।
#2
जाटों की नाराजगी की भरपाई के लिए इस वोटबैंक पर भी नजर
जाटों की नाराजगी की भरपाई के लिए भाजपा OBC के साथ-साथ दलितों पर भी ध्यान दे रही है।
इसके लिए कुछ महीने पहले ही कांग्रेस के बड़े दलित नेता रहे अशोक तंवर को पार्टी में लाया गया।
राज्य की लगभग 20 प्रतिशत आबादी दलित है।
भाजपा ब्राह्मण, पंजाबी, बनिया और राजपूत आदि समुदायों के वोटों को लेकर पहले से ही आश्वत है कि इन समुदायों के वोट बड़ी मात्रा में उसे ही मिलेंगे।
#3
कांग्रेस के जातिगत जनगणना के दांव की काट
देशभर में भाजपा की सफलता में OBC की अहम भूमिका रही है, लेकिन हालिया समय में जातिगत जनगणना की मांग को बार-बार उठाकर कांग्रेस ने OBC को अपनी तरफ करने की कोशिश की है।
ऐसे में सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने OBC को लुभाने की कांग्रेस की कोशिशों को भी कुंद किया है।
राज्य में सैनी समुदाय की खुद 8 प्रतिशत आबादी है और कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, हिसार और रेवाड़ी में ये चुनावी नतीजों पर असर डाल सकते हैं।
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सत्ता विरोधी लहर से निपटने की कोशिश
हरियाणा में आगामी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और खट्टर और उनके पूरी मंत्रिमंडल को हटाकर भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर से निपटने का दांव भी चला है।
भाजपा पिछले कुछ समय से ऐसा कर रही है और उसने गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड और त्रिपुरा में भी चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदले थे।
कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में उसका ये दांव सफल रहा और वो उम्मीद करेगी कि हरियाणा में भी ये दांव सफल हो।
#5
खट्टर के प्रति जनता और कार्यकर्ताओं में नाराजगी
भाजपा के मुख्यमंत्री बदलने के पीछे खट्टर के प्रति जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी एक वजह है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान आंदोलन और पहलवान आंदोलन के कारण खट्टर के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी और सत्ता विरोधी लहर है।
इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ता भी कटे रहने के कारण खट्टर से नाराज थे और उन्होंने ये फीडबैक पार्टी को दिया था। ये बात भी खट्टर के खिलाफ गई और उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
आगे क्या
खट्टर के लिए अब आगे क्या?
भले ही खट्टर को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उनकी राजनीति का सूर्यास्त हो गया है।
खट्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद माने जाते हैं और पार्टी उन्हें अन्य कोई बड़ी भूमिका दे सकती है।
खबर है कि खट्टर को करनाल या कुरुक्षेत्र सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो चुनाव जीतने के बाद उन्हें मोदी सरकार में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।