प्रधानमंत्री मोदी ने किया द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन, जानें इससे संबंधित अहम बातें, लागत और विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सोमवार को द्वारका एक्सप्रेसवे के हरियाणा खंड का उद्घाटन किया। इस उद्घाटन के बाद हरियाणा के गुरुग्राम से दिल्ली पहुंचना आसान हो जाएगा और लोगों को जाम से राहत मिलेगी। द्वारका एक्सप्रेसवे को देश का पहला एलिवेटेड हाईवे भी बताया जा रहा है, जो इसे बेहद खास बनाता है। आइए आपको इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे से संबंधित अहम बातें और इसके फायदों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
दिल्ली और हरियाणा के किन इलाकों को जोड़ेगा द्वारका एक्सप्रेसवे?
द्वारका एक्सप्रेसवे 8 लेन का 29 किलोमीटर का एक एलिवेटेड एक्सप्रेसवे है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर दिल्ली के महिपालपुर स्थित शिव मूर्ति से हरियाणा के गुरुग्राम स्थित खेड़की दौला टोल प्लाजा तक जाएगा। इसका 10.1 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में है, जबकि 18.9 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में है। इसके 4 खंडे में बनाया जा रहा है, जिसमें से 2 दिल्ली में हैं और 2 हरियाणा में हैं। आज हरियाणा वाले खंडों का उद्घाटन हुआ है। इसमें 3 सर्विस रोड भी हैं।
दिल्ली और हरियाणा में कौन-कौन से खंड?
एक्सप्रेसवे के शिव मूर्ति से बिजवासन (5.9 किलोमीटर) और बिजवासन से दिल्ली-गुरुग्राम सीमा (4.2) खंड दिल्ली में हैं। दिल्ली-गुरुग्राम सीमा से बसई रेल-ओवर-ब्रिज (ROB) (10.2 किलोमीटर) और बसई ROB से खेड़की दौला प्लाजा (8.7 किलोमीटर) खंड हरियाणा में हैं।
एक्सप्रेसवे की लागत और खासियत
द्वारका एक्सप्रेसवे को लगभग 9,000 करोड़ रुपये की लागत में बनाया जा रहा है। इसमें से लगभग 4,100 करोड़ रुपये इसके हरियाणा खंड पर खर्च हुए हैं, जबकि बाकी लगभग दिल्ली खंड पर खर्च हुए हैं। ये भारतमाला परियोजना का एक अहम हिस्सा है, जो मोदी सरकार की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसकी खासियत की बात करें तो ये देश का पहला एलिवेटेड एक्सप्रेसवे है, जो एकल खंभों पर बना है। इसकी चौड़ाई 34 किलोमीटर तक है।
एक्सप्रेसवे की इंजीनियरिंग ने एफिल टॉवर और बुर्ज खलीफा को दी मात
द्वारका एक्सप्रेसवे की इंजीनियरिंग में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि ये है कि इसे 2 लाख मीट्रिक टन स्टील से तैयार किया गया है, जो फ्रांस के एफिल टॉवर की तुलना में 30 गुना अधिक है। इसके अलावा इसमें 20 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट लगा है, जो दुबई की बुर्ज खलीफा इमारत की तुलना में 6 गुना अधिक है। इसके अलावा यहां टोल कलेक्शन सिस्टम पूरी तरह ऑटोमेटिक है और एक्सप्रेसवे सुरक्षा मानकों पर पूरी तरह खरा उतरा है।
एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़ी टीम ने किए कई प्रयोग
इस परियोजना से जुड़ी टीम ने कई इंजीनियरिंग और निर्माण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद समस्याओं से निपटने के लिए कई नए और अभिनव प्रयोग किए हैं। उदाहरण के लिए, परियोजना टीम ने ट्रैफिक और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सर्विस लेन पर प्रवेश बिंदु बनाए हैं। इसके अलावा एक्सप्रेसवे इसलिए भी अनोखा है क्योंकि यह भारत की पहली परियोजना है, जहां 1,200 पेड़ों को दोबारा लगाया गया है।
द्वारका एक्सप्रेसवे से क्या फायदा होगा?
द्वारका एक्सप्रेसवे से दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यात्रा काफी आसान हो जाएगी। यात्री द्वारका से गुरुग्राम स्थित मानेसर तक केवल 15 मिनट और मानेसर से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 20 मिनट में यात्रा कर सकेंगे। इसके साथ ही सिंघु बॉर्डर से द्वारका और मानेसर तक यात्रा का समय क्रमशः 25 मिनट और 45 मिनट हो जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग-48 से दिल्ली-गुरुग्राम के बीच सफर करने वाले लगभग 9,000 यात्रियों को भी लगभग 20 मिनट की बचत होगी।
एक्सप्रेसवे की लागत पर क्या विवाद है?
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) ने अपनी एक रिपोर्ट में द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत पर सवाल उठाए थे। उसने कहा कि इसके निर्माण के लिए केंद्रीय समिति ने 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से बजट आवंटित किया था, लेकिन सड़क मंत्रालय ने बिना अनुमति 250.77 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि को मंजूरी दे दी। इसका मतलब इसकी लागत स्वीकृत लागत से 14 गुना अधिक रही। उसने एलिवेटेड रोड के निर्माण को इसका कारण बताया।