सीरिया से लौटे भारतीयों ने बताया हाल, बोले- रोज बम-मिसाइल की आवाज सुनते थे
सीरिया में तख्तापलट होने के बाद युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। इस बीच भारत ने सीरिया से अपने 75 नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया है। इनमें से 4 आज (14 दिसंबर) को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे। देश लौटने के बाद इन नागरिकों ने युद्धग्रस्त सीरिया के हालात बयां किए हैं। नागरिकों ने बताया कि वहां हर दिन रॉकेट और गोलियों का आवाज सुनाई देती थी।
लौटे भारतीय ने कहा- दूतावास ने काफी मदद की
समाचार एजेंसी ANI से एक भारतीय ने कहा, "मैं 15-20 दिन पहले वहां गया था। वहां की स्थिति बहुत खराब थी। हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया। हमें पहले दमिश्क बुलाया गया, फिर 2-3 दिन रुकने के बाद बेरूत ले जाया गया। हर दिन रॉकेट और गोलियों की आवाजें सुनाई देती थीं। भारतीय दूतावास ने हमारी काफी मदद की और सभी सुविधाएं मुहैया कराईं। हमें खुशी है कि हम अपने देश पहुंच गए हैं।"
रोज सुनते थे धमाके की आवाज- भारतीय
एक अन्य भारतीय ने कहा, "एक दिन मैं प्लांट में काम कर रहा था तभी 2-3 रॉकेट दिखे। हमने दूतावास को बताया। उन्होंने कहा कि दमिश्क आ जाओ। वहां से हमें बेरूत ले जाया गया। 2 दिन बाद हमारी टिकट बेरूत से दोहा के लिए बुक हो गई। फिर दोहा से कतर और नई दिल्ली के लिए बुक हो गई। वहां की स्थिति बहुत गंभीर है। हम हर रोज रॉकेट धमाके और गोली चलने की आवाज सुनते थे।"
भारतीयों ने दूतावास का जताया आभार
एक अन्य भारतीय ने कहा, "मैं भारतीय दूतावास, भारतीय सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। वहां की स्थिति बहुत खराब है। हम वहां डर गए थे। हमने पहली बार रॉकेट और गोलियों की आवाज सुनी थी। हमें दूतावास से फोन आया था। उन्होंने कहा कि सीरिया छोड़ दो। हम बम धमाके की आवाजें सुन रहे थे। दूतावास ने हमें बुलाया और बेरूत पहुंचाया। इसके 2-3 दिन बाद हम दिल्ली आ गए।"
सीरिया से कितने भारतीय निकाले गए?
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इससे पहले भी 77 भारतीय नागरिकों को सीरिया से सुरक्षित वापस लाया गया है। इनमें जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन भी शामिल हैं, जो सैदा जैनब में फंसे हुए थे। सभी नागरिकों को लेबनान के रास्ते भारत लाया गया। मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास के कर्मचारी नागरिकों को सीरिया की सीमा तक सुरक्षित ले गए. इसके बाद लेबनान में भारतीय मिशन ने इनकी अगवानी की और आगे की यात्रा के लिए मदद की।
सीरिया में क्या हो रहा है?
हयात तहरीर अल शाम (HTS) के नेतृत्व में कई दूसरे विद्रोही संगठनों ने सीरिया में तख्तापलट कर दिया है। विद्रोहियों ने 11 दिन के भीतर ही राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ना पड़ा है। इसी के साथ 50 सालों से चला आ रहा उनके परिवार का शासन खत्म हो गया है। उन्होंने रूस में शरण ली है। विद्रोहियों ने मोहम्मद अल बशीर को सीरिया का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।