तुर्की: भूकंप पीड़ितों के इलाज में लगी भारतीय सेना की टीम का कैसा है अनुभव?
क्या है खबर?
विनाशकारी भूकंप से मची तबाही के बाद भारत समेत अनेक देशों ने तुर्की और सीरिया में मदद भेजी है।
भारत सरकार ने तुर्की में 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत राहतकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, राहत सामग्री और मेडिकल उपकरण आदि भेजे हैं।
भारतीय सेना ने तुर्की में एक विशेष अस्पताल स्थापित किया है, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।
आइये जानते हैं कि यहां तैनात स्वास्थ्यकर्मियों का अनुभव क्या रहा है और उन्हें क्या चुनौतियां आ रही हैं।
इंतजाम
मंगलवार को तुर्की पहुंची थी 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल यूनिट
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय सेना की 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल दो टुकड़ियों में मंगलवार को तुर्की पहुंची थी। यहां लैंड करते ही टीम भूकंप प्रभावित इस्केंड्रम के लिए रवाना हो गई।
यहां इस यूनिट के सामने सबसे पहले चुनौती ऐसी इमारत ढूंढना था, जिसमें भूकंप के चलते दरारें न आई हों।
यूनिट के कमांडिंग अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल यदुवीर सिंह ने बताया कि एक अस्पताल के पास स्कूल में उन्होंने अस्थायी अस्पताल तैयार किया है। इसमें पांच घंटे लगे।
इंतजाम
टीम ने तैयार किया 30 बिस्तरों का अस्पताल
30 बिस्तरों वाले इस अस्थायी अस्पताल में डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और दूसरे कर्मचारियों समेत 13 लोगों की टीम तैनात की गई है। इसके शुरू होते ही यहां इलाज के लिए आने वाले घायलों की लाइन लग गई। इनमें नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्ग नागरिक तक शामिल हैं।
इनमें से कोई ट्रॉमा से गुजर रहा है तो किसी को मलबे में दबने के कारण गंभीर चोट आई है।
शनिवार सुबह तक यहां 600 से अधिक लोगों का इलाज किया जा चुका था।
बयान
अधिकतर घायल ट्रॉमा से गुजर रहे- सिंह
लेफ्टिनेंट कर्नल सिंह ने बताया कि यहां आने वाले अधिकतर मरीज ट्रॉमा से गुजर रहे हैं, लेकिन कुछ मामले काफी चुनौतीपूर्ण रहे।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों ने एक पांच साल की बच्ची का इलाज किया है, जो तीन दिनों तक मलबे में दबी रही थी। इसी तरह उनके पास एक 48 वर्षीय पुरुष आया, जिसकी टांग मलबे के नीचे दबकर कुचल गई थी। उसके इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को उसकी टांग के क्षतिग्रस्त हिस्से का काटना पड़ा।
बयान
गर्मजोशी से लोग दे रहे साथ- सिंह
सेना अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोग गर्मजोशी से उनका साथ दे रहे हैं। टीम को दो वॉलेंटियर मिल गए हैं, जो दुभाषिये का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय अस्पताल से चिकित्सा आपूर्ति भी मिल रही है।
उन्होंने कहा कि यह यूनिट अपने साथ 2,100 लोगों के लिए चिकित्सा आपूर्ति लेकर आई थी और अगर जरूरत पड़ती है तो दूतावास और तुर्की में भारत के राजदूत मदद के लिए तैयार है।
पहचान
'ऑपरेशन दोस्त' की पहचान बनी मेजर बीना तिवारी
तुर्की में तैनात सेना की 99 सदस्यों वाली मेडिकल टीम में मेजर बीना तिवारी एकमात्र महिला हैं और वो पिछले महीने ही 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल यूनिट से जुड़ी थीं।
सैन्य परिवार से आने वालीं मेजर तिवारी इससे पहले असम में सेना के अस्पताल में तैनात थीं। सेना में भर्ती होने के समय से ही वो 60 पैरा यूनिट से जुड़ना चाहती थीं।
उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिनमें तुर्की की एक महिला ने उन्हें गले लगाया हुआ है।
चुनौती
टीम को क्या चुनौतियां पेश आ रहीं?
सेना अधिकारी ने बताया कि ठंडा मौसम उनकी टीम और वहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि यहां तापमान माइनस 2 डिग्री है, लेकिन ठंडी हवा के चलते ज्यादा सर्दी महसूस होती है। इसके अलावा यहां शुरुआत में बिजली की समस्या थी। सेना की मेडिकल टीम यहां बिना थके और रुके लगातार घायलों के इलाज में लगी हुई है। यहां तैनात स्वास्थ्यकर्मी बारी-बारी से सोने जाते हैं।