कौन थे अमेरिकी हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी, जिन्हें ईरान में माना जाता है हीरो?
शुक्रवार को इराक की राजधानी बगदाद के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिका के हवाई हमले में ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर ये हमला किया गया। अमेरिका ने कहा है कि विदेशों में तैनात अमेरिकी सैनिकों की रक्षा के लिए ये कदम उठाया गया है। जनरल सुलेमानी आखिर कौन थे और ईरान के लिए उनकी क्या अहमियत थी, आइए आपको बताते हैं।
किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं था सुलेमानी का रुतबा
कुद्स फोर्स ईरान की बेहद शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुद्स फोर्स विदेशों में काम करती है और यहां अभियानों को अंजाम देती है। जनरल कामिस सुलेमानी 1998 से इसके प्रमुख थे और ईरान में उनका रुतबा किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं था। इराक-ईरान युद्ध और फिर सीरिया गृह युद्ध में ISIS के खिलाफ लड़ाई ने उन्हें देश का हीरो बना दिया था। मध्य-पूर्व में ईरान का प्रभुत्व बढ़ाने में उनका अहम योगदान था।
गरीब परिवार में हुआ था सुलेमानी का जन्म
सुलेमानी एक गरीब परिवार से आते हैं और उनका जन्म ईरान के कर्मन प्रांत में हुआ था। अपने परिवार की मदद करने के लिए उन्हें 13 साल की उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था। 1979 में ईरान में आई इस्लामिक क्रांति के दौरान उन्होने ईरानी सेना में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मात्र छह हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद ही वो सीधे लड़ाई के मैदान में कूद गए थे।
ईरान-इराक युद्ध में सुलेमानी ने दिखाई बहादुरी
इसके बाद 1980 से 1988 के बीच आठ साल चले ईरान और इराक के युद्ध में भी सुलेमानी का अहम योगदान रहा और उन्होंने ईराक की सीमा में कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया। उनकी इस बहादुरी ने उन्हें देश का हीरो बना दिया।
लो-प्रोफाइल रहते हुए पड़ोसी देशों से मजबूत किए संबंध
सुलेमानी 1998 में IRGC की कुद्स फोर्स के प्रमुख बने और लो-प्रोफाइल रहते हुए इराक में शिया मिलिशिया समूहों, सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद और लेबनान में हिजबुल्ला के साथ ईरान के संबंधों को मजबूत किया। उनके नेतृत्व में IRGC अपनी क्षमताओं में भारी इजाफा करने में कामयाब रहा और मध्य-पूर्व देशों में राजनीतिक, आर्थिक और खुफिया मामलों में एक बड़ी ताकत बनकर उभरा। इलाके में ईरान का प्रभुत्व बढ़ाने में इन चीजों का बेहद अहम योगदान है।
इराक में बढ़ाया राजनीतिक प्रभुत्व
इराक में सद्दाम हुसैन के तख्तापलट के बाद जब 2005 में इब्राहिम अल-जाफरी के नेतृत्व में नई सरकार बनी तब सुलेमानी का इराक की राजनीति में प्रभाव बढ़ गया। इसके बाद अगले प्रधानमंत्री नूर-अल-मलिकी के कार्यालय में भी उनका प्रभाव बढ़ता गया। इस दौरान इराक में ईरान का मुखौटा माने जाने वाली शिया राजनीतिक पार्टी और अद्धसैनिक बल 'ब्रद संगठन' बेहद शक्तिशाली संस्था बन गई और गृह और परिवहन मंत्रालय उसके नियंत्रण में आ गए।
सीरिया में असद सरकार के साथ ISIS से लड़े
2011 में सीरिया में गृह युद्ध छिड़ने के बाद सुलेमानी ने इराक के अपने मिलिशिया समूहों को असद सरकार की तरफ से लड़ने का निर्देश दिया। इसके बाद जब ISIS सीरिया में आया तो ईरान समर्थित हशद अल-शाबी ने इससे जमकर टक्कर ली। अल-शाबी का एक हिस्सा सुलेमानी के निर्देशों पर काम करता था। ISIS के खिलाफ इस लड़ाई से इलाके के लिए कई देशों के लिए वो "मसीहा" बन गए थे।
कई बार हो चुकी थी सुलेमानी की हत्या की कोशिश
शुक्रवार से पहले इजरायल और पश्चिमी और अरब देश कई बार सुलेमानी की हत्या करने की कोशिश कर चुके थे। उनकी मौत की अफवाह भी कई बार उड़ चुकी है। 2006 में उत्तर-पश्चिमी ईरान में हवाई दुर्घटना और 2012 में दमिश्क में बमबारी में उनकी मौत की खबरें आईं थीं। अब देश में एक हीरो की छवि रखने वाले सुलेमानी की मौत के बाद ईरान-अमेरिका के संबंधों में और तनाव आना तय है।
अमेरिका ने क्यों बनाया सुलेमानी को निशाना?
बता दें कि अमेरिका और ईरान में इस्लामिक क्रांति के दौर से ही दुश्मनी चल रही है। हाल ही के समय में भी दोनों देशों में कई मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है। पिछले हफ्ते बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर भीड़ के हमले ने इस तनाव को और बढ़ा दिया और अमेरिका ने इसके पीछे ईरान का हाथ बताया। चूंकि सुलेमानी इराक में ईरान के अभियान संभालते हैं, इसलिए अमेरिका ने उन्हें निशाना बनाते हुए ये हमला किया।