#NewsBytesExplainer: WHO से बाहर निकला अमेरिका, भारत पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही बड़े फैसले लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति पद संभालने के पहले ही दिन अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर करने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
ट्रंप ने इस फैसले के पीछे WHO द्वारा कोविड-19 महामारी को ठीक से न संभालना और आवश्यक सुधारों को अपनाने में विफलता जैसी कुछ वजहें बताई हैं।
जानते हैं इस फैसले का भारत पर क्या असर होगा।
WHO
सबसे पहले जानिए क्या है WHO?
WHO सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय निकाय है, जो संयुक्त राष्ट्र (UN) का हिस्सा है। इसकी स्थापना 1948 में हुई थी।
यह स्वास्थ्य नीति और नियोजन से जुड़े कई पहलुओं पर काम करता है। जब कोई बड़ी बीमारी फैलती है तो WHO अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का समन्वय करने, अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने, उनका वर्गीकरण करने और सभी ज्ञात लक्षणों को सूचीबद्ध करने का काम करता है।
इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में है।
आदेश
ट्रंप के कार्यकारी आदेश में क्या है?
आदेश के मुताबिक, WHO को अमेरिकी निधियों और संसाधनों का हस्तांतरण रोका जाएगा।
WHO के साथ काम करने वाले सभी अमेरिकी कर्मचारियों को वापस बुलाया जाएगा। WHO की जरूरी गतिविधियों के लिए अमेरिका अंतरराष्ट्रीय भागीदारों की पहचान करेगा।
सबसे अहम बात है कि अमेरिका WHO की महामारी संधि से बाहर होगा। ये संधि महामारी से निपटने के लिए बेहतर तैयारी, वैश्विक सहयोग की रूपरेखा, और दवाओं-टीकों को समान रूप से साझा करने का तंत्र विकसित करने के लिए है।
आर्थिक हालात
फैसले का WHO के आर्थिक हालात पर क्या होगा असर?
WHO का पैसे 2 तरीकों से मिलते हैं। पहला- सदस्य देशों से अनिवार्य योगदान और दूसरा- विभिन्न देशों और संगठनों से मिला दान।
अनिवार्य योगदान में अमेरिका सबसे बड़ा देनदार है, जो 22.5 प्रतिशत राशि देता है। स्वैच्छिक योगदान में भी अमेरिका सबसे बड़ा दाता है। 2023 में WHO को मिले कुल दान का 13 प्रतिशत अमेरिका ने दिया था।
ऐसे में फैसले का असर WHO की आर्थिक हालत पर पड़ना तय है।
भारत
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका के बाहर हटने से WHO को मिलने वाली बड़ी राशि भी बंद हो जाएगी। भारत सहित कई देशों पर इसका असर पड़ने की संभावना है।
WHO भारत में कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है। इनमें HIV, मलेरिया और टीबी उन्मूलन जैसे कई कार्यक्रम शामिल है। सबसे अहम बात है कि WHO भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वैक्सीन आपूर्ति के साथ WHO की टीमें वैक्सीन कवरेज की निगरानी भी करती हैं।
बयान
क्या कह रहे हैं जानकार?
WHO के साथ काम कर चुके एक विशेषज्ञ ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "वित्तपोषण में कटौती का मतलब होगा कि WHO कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाएगा। WHO बीमारियों को लेकर दिशानिर्देश प्रदान करता है, जिसका उपयोग और अनुकूलन देशों द्वारा उनके स्थानीय कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। ये दिशानिर्देश आमतौर पर सभी प्रकाशित साक्ष्य एकत्र कर और विशेषज्ञ समितियों में चर्चा कर जारी किए जाते हैं।"
भविष्य
आगे क्या हो सकता है?
माना जा सकता है कि अमेरिका की कमी को चीन और भारत अन्य देश पूरा कर सकते हैं।
ORF पर लिखे गए एक लेख में डॉक्टर अलाकिजा ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के लिए समग्र स्वास्थ्य में निवेश करके एक अच्छा उदाहरण पेश कर रहे हैं। भारत ने वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में खुद को शीर्ष पर रखा है। नई वैश्विक व्यवस्था में हमें भारत, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों की आवाजों की जरूरत है।"