चीन में मिले ब्यूबोनिक प्लेग के 2 मरीज, जानें क्या है ये बीमारी और कितनी खतरनाक
क्या है खबर?
दुनिया अभी कोरोना की मार से उबर भी नहीं पाई है कि चीन में अब एक और घातक बीमारी ने दस्तक दे दी है।
चीन के इनर मंगोलिया में ब्यूबोनिक प्लेग के 2 मामले सामने आए हैं। इससे पहले 7 अगस्त को एक महिला संक्रमित पाई गई थी। फिलहाल जो 2 नए मामले सामने आए हैं, वो संक्रमित महिला के पति और बेटी के हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि दोनों को क्वारेंटाइन कर दिया गया है।
मामले
मंगोलिया में बढ़ रहे हैं ब्यूबोनिक प्लेग के मामले
पिछले साल नवंबर में भी मंगोलिया में ब्लूबोनिक प्लेग के 2 मामले सामने आए थे। जुलाई 2020 में भी चीन के एक उत्तरी शहर में इस बीमारी से संक्रमित मरीज की पहचान हुई थी। हालांकि, अभी तक एक भी संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है।
मई 2021 में अफ्रीकी देश कॉन्गो में ब्यूबोनिक प्लेग के 15 मामले सामने आए थे, जिनमें से 11 लोगों की मौत हो गई थी।
बीमारी
क्या होता है ब्यूबोनिक प्लेग?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, यह एक संक्रामक बीमारी है, जो येरसीनिया पेस्टिस नाम के बैक्टीरिया से फैलती है। यह बैक्टीरिया चूहे के शरीर में पाया जाता है। वहां से पिस्सूओं के जरिए ये बैक्टीरिया इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
ये बीमारी 2 तरह की होती है- ब्यूबोनिक और न्यूमोनिक। सामान्य प्लेग को ब्यूबोनिक और गंभीर स्थिति को न्यूमोनिक प्लेग कहा जाता है। ज्यादा संक्रमण होने पर ये बीमारी जानलेवा हो जाती है।
लक्षण
क्या है ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षण?
WHO के अनुसार, इस बीमारी में इंसान को तेज बुखार आता है और शरीर में दर्द होता है। कमजोरी महसूस होना, उल्टी होना, ठंड लगना और धड़कन तेज चलने जैसे लक्षण भी मरीजों में देखे जाते हैं।
2-3 दिन में ही शरीर पर बड़ी फूंसियां होने लगती हैं, जो 14 दिन में पक जाती है। नाक और उंगलियां भी काली पड़ने लगती हैं। लक्षण पूरी तरह से सामने आने में एक हफ्ते तक का समय लग सकता है।
खतरा
कितना खतरनाक है ब्यूबोनिक प्लेग?
ब्यूबोनिक प्लेग को 'ब्लैक डेथ' भी कहा जाता है। इसमें मौत होने का खतरा 30 से 60 प्रतिशत तक होता है।
अब तक 3 बार इस बीमारी का कहर दुनिया को देखने को मिला है। 14वीं शताब्दी में पहली बार इसकी चपेट में आने से लगभग 5 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। दूसरी बार यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार लगभग 80 हजार लोगों की मौत हुई थी।
इस बीमारी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है।