#NewsBytesExplainer: जम्मू-कश्मीर की नई कांग्रेस-NC सरकार कितनी ताकतवर होगी?
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के अब तक के नतीजों में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का गठबंधन 50 सीटों पर आगे है और सरकार बनाने जा रहा है। भाजपा 28 सीटों पर आगे चल रही है। इसी के साथ ये तय हो चुका है कि जम्मू-कश्मीर को 10 साल बाद चुनी हुई सरकार मिलने जा रही है। हालांकि, अनुच्छेद 370 हटने और परिसीमन के बाद नई सरकार पहले जैसी नहीं रहेगी। आइए जानते हैं नई सरकार कितनी ताकतवर होगी।
केंद्र शासित प्रदेश बन गया है जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर पहले राज्य था, लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। लद्दाख में विधानसभा नहीं है और जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा है। संविधान के अनुच्छेद 239 में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा, जो प्रशासक के रूप में कार्य करेगा। यानी जम्मू-कश्मीर की नई सरकार के लिए सबसे बड़ा बदलाव केंद्र शासित प्रदेश की तरह सरकार चलाने का होगा।
कितनी ताकतवर होगी विधानसभा?
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 32 में कहा गया है कि विधानसभा राज्य सूची में सूचीबद्ध किसी भी मामले के संबंध में कानून बना सकती है। हालांकि, विधानसभा को समवर्ती सूची में शामिल विषय जैसे सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस जैसे मामले पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। दूसरी ओर, राज्यों को समवर्ती सूची के सभी विषयों पर उस हद तक कानून बनाने का अधिकार है कि वो केंद्रीय कानून के विपरीत न हो।
उपराज्यपाल की भूमिका बढ़ी
पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 36 में कहा गया है कि कोई विधेयक या संशोधन उपराज्यपाल की सिफारिश के बिना विधानसभा में पेश नहीं किया जाएगा, अगर ये विधेयक केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा किए जाने वाले किसी भी वित्तीय संबंध में कानून में संशोधन से संबंधित है। ये धारा उपराज्यपाल की भूमिका बढ़ा देगी, क्योंकि हर नीतिगत निर्णय केंद्र शासित प्रदेश के लिए वित्तीय दायित्व बना सकता है, ऐसे में उपराज्यपाल की अनुमति जरूरी होगी।
उपराज्यपाल को क्या-क्या शक्तियां मिली हैं?
पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 53 में कहा गया है कि उपराज्यपाल कार्यों के निष्पादन में ऐसे मामलों में अपने विवेक से कार्य करेंगे, जो विधानसभा को प्रदत्त शक्तियों के दायरे से बाहर हैं, जिसमें उन्हें किसी कानून के तहत अपने विवेक से कार्य करने या कोई न्यायिक कार्य करने की आवश्यकता है, अखिल भारतीय सेवाओं और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित है। यानी नौकरशाही और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी उपराज्यपाल के नियंत्रण में है।
5 सीटों पर उपराज्यपाल नामित करेंगे उम्मीदवार
उपराज्यपाल विधानसभा के लिए 5 सदस्यों को नामित कर सकेंगे। इनमें से 2 कश्मीरी पंडित और एक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से विस्थापित व्यक्ति होगा। नामित होने वाले 2 कश्मीरी पंडितों में से एक महिला होगी। यानी विधानसभा में 95 सीटें है, लेकिन मतदान 90 के लिए ही हुआ। इसके अलावा अनुसूचित जाति (SC) के लिए 7 और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 9 सीटों समेत 16 सीटें आरक्षित थीं।
पिछले चुनावों के कैसे थे नतीजे?
2014 के विधानसभा चुनाव में 65.52 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं और 7 पर अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके चलते गठबंधन सरकार बनी थी।