केरल में तेजी से बढ़ रहा जीका वायरस का प्रकोप, 21 हुई संक्रमितों की संख्या
कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे केरल की अब जीका वायरस ने परेशानी बढ़ा दी है। पांच दिन पहले एक गर्भवती महिला के जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद से तेजी से इसके मामले बढ़ रहे हैं। मंगलवार को भी दो और लोगों को इससे संक्रमित पाया गया है। ऐसे में राज्य में जीका वायरस से संक्रमित होने वालों की कुल संख्या 21 हो गई है। इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
केरल में 9 जुलाई को सामने आया था जीका वारयस का पहला मामला
बता दें कि 9 जुलाई को तिरुवनंतपुरम जिले के परसाला निवासी 24 वर्षीय गर्भवती महिला के सबसे पहले जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उसके बाद उसने बच्चे को जन्म दिया और अब जच्चा-बच्चा दोनों की हालत स्थिर हैं। इसके बाद से राज्य में इसके मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। मंगलवार को भी तिरुवनंतपुरम के दो लोगों को इस वायरस से संक्रमित पाया गया है। इसके बाद पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है।
लोगों से की सावधानी बरतने की अपील- जॉर्ज
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, "जीका वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ने को लेकर लोगों से सावधानी बरतने तथा वायरस से बचाव के उपयों का पालन करने की अपील की गई है।" उन्होंने कहा, "हमने पहले ही जल-जमाव क्षेत्रों की सफाई शुरू करा दी है। संक्रमण को रोकने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। उपचार के लिए तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में एक विशेष जीका वार्ड स्थापित किया गया है।"
वायरस के प्रसार के कारणों का पता लगा रही केंद्रीय टीम
राज्य में तेजी से बढ़ते जीका वायरस के संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने विशेष टीम को केरल भेजा है। यह टीम राज्य के चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मिलकर जीका वायरस के तेजी से प्रसार होने के कारणों का पता लगा रही है।
आखिर क्या है जीका वायरस?
जीका संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। रोग के लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते, आंख आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं। भले ही इस वायरस से संक्रमित अधिकतर लोग लोग उपचार लेने के सात दिनों के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने पर यह गंभीर परेशानी पैदा कर सकता है। ऐसे में यह राज्य के लिए चिंता की बात है।
जीका संक्रमण का अभी तक नहीं है कोई उपचार
जीका वायरस पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पाया गया था। इसके बाद साल 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया के लोगों में इसकी पुष्टि हुई थी। एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और प्रशांत द्वीपों में इस बीमारी के फैलने की सूचना मिली है। भारत में इसका पहला प्रकोप साल 2017 में अहमदाबाद में देखने को मिला था। परेशानी की बात यह है कि वर्तमान में जीका वायरस की कोई वैक्सीन या विशिष्ट उपचार नहीं है।
जीका वायरस के लक्षणों का कैसे कर सकते हैं उपचार?
बता दें कि जीका वायरस का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है तो डॉक्टर इसके लक्षणों के आधार पर उपचार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 1) शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए लगातार पानी और अन्य तरल पदार्थ पीना चाहिए। 2) बुखार या दर्द को कम करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह पर आवश्यक दवाइयां लेनी चाहिए। 3) संक्रमित होने पर पूरी तरह से आराम करना चाहिए। इन उपायों से संक्रमण से बच सकते हैं।