सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और ICSE के परिणाम फार्मूला को बताया सही और उचित
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (ICSE) बोर्ड की 12वीं की परीक्षा निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार और बोर्ड दोनों ही छात्रों को लेकर चिंतित हैं। इसलिए परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया गया है।
इसी तरह दोनों बोर्डों का परिणाम फार्मूला भी पूरी तरह से सही और उचित है।
पृष्ठभूमि
1 जून को की गई थी परीक्षा निरस्त करने की घोषणा
बता दें कि CBSE की 12वीं बोर्ड की परीक्षा को लेकर 1 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में विशेष बैठक आयोजित की गई थी। इसमें सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय किया गया था।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि विद्यार्थियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है और इससे बिल्कुल भी समझौता नहीं किया जा सकता है। ऐसे में परीक्षा निरस्त करने का निर्णय किया गया है।
फार्मूला
CBSE ने 17 जून को दी थी परिणाम के फार्मूले की जानकारी
परीक्षा निरस्त होने के बाद कुछ लोगों ने परिणाम फार्मूले के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर कोर्ट ने CBSE को फार्मूला तैयार करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था।
इसके बाद CBSE ने फार्मूला तैयार करने के लिए 13 सदस्यीय पैनल गठित किया था।
इस पैनल की रिपोर्ट के बाद CBSE ने गत 17 जून को कोर्ट में अपनी परिणाम फार्मूले और 31 जुलाई तक उसे घोषित करने की जानकारी दी थी।
जानकारी
CBSE ने यह निर्धारित किया था परिणाम का फार्मूला
CBSE ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 12वीं कक्षा का परिणाम 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में प्रदर्शन के आधार पर जारी किया जाएगा।
इसमें 10वीं और 11वीं के नंबरों का 30-30 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में परफॉर्मेंस का 40 प्रतिशत हिस्सा लिया।
इसी तरह 31 जुलाई तक परिणम घोषित कर दिए जाएंगे। जो बच्चे परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें हालात सामान्य होने पर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा।
याचिका
परीक्षा निरस्त किए जाने से पहले ही विकल्प देने को लेकर दायर की याचिका
CBSE के परिणाम फार्मूला जारी करने के बाद उत्तर प्रदेश अभिभावक संघ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें कहा गया था कि इसके कई उपनियम मनमाने हैं। वह छात्रों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।
इसी तरह कहा गया था कि छात्र और स्कूल दोनों को बाहरी परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन का विकल्प चुनने का अवसर प्रारंभिक चरण में ही दिया जाना चाहिए था। इससे छात्र अपने हिसाब से विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र होते।
सुनवाई
परिणाम फार्मूला पूरी तरह से सही और उचित- सुप्रीम कोर्ट
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि CBSE और ICSE का परिणाम फार्मूला पूरी तरह से सहित और उचित है। ऐसे में इसमें दखल देने की कोई वजह नहीं है। ऐसे में दोनों बोर्डों का परिणाम फार्मूला स्वीकार किया जाता है।
इस दौरान कोर्ट ने CBSE कंपार्टमेंट परीक्षा को रद्द करने के लिए 1,152 छात्रों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे भी खारिज कर दिया।
जानकारी
15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच हो सकती है कंपार्टमेंट परीक्षा
CBSE कंपार्टमेंट परीक्षा के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि कंपार्टमेंट छात्रों के लिए कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी। स्थिति अनुकूल होने पर 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कभी भी छात्र लिखित परीक्षा के लिए उपस्थित हो सकेंगे।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से किया सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या छात्रों को शुरू में ही लिखित और आंतरिक मूल्यांकन का विकल्प दिया जा सकता है।
इस पर AG ने कहा कि छात्रों को दोनों विकल्प मिल रहे हैं। यह वह फार्मूले से संतुष्ट नहीं हैं तो लिखित परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं।
हालांकि, लिखित परीक्षा का विकल्प चुनने पर लिखित परीक्षा के नंबर ही अंतिम माने जाएंगे। इसके बाद आंतरिक मूल्यांकन का मौका नहीं मिलेगा।