आर्थिक पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण का कानून हुआ लागू, ये लोग उठा सकते हैं फायदा
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्च जातियों के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण संबंधी कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।
इसका मतलब है कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने वाला यह नियम अब प्रभाव में आ चुका है।
आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण पर सरकार ने 7 जनवरी को मंजूरी दी थी। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में संविधान संशोधन बिल पास होने के बाद 12 जनवरी को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किए थे।
संविधान
आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए संविधान संशोधन था जरूरी
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, 'संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 14 जनवरी को उस तारीख के रूप में चिह्नित करती है जिस दिन कथित कानून के प्रावधान प्रभाव में आएंगे।'
आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण के लिए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया है।
संशोधन सरकार को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का अधिकार देता है।
सवाल
बहुत बड़ा है दायरा
10 प्रतिशत आरक्षण का फायदा वही उम्मीदवार उठा सकते हैं जो इसके दायरे में आते हो।
नियम के अनुसार, वो उम्मीदवार इसका फायदा उठा सकते हैं जिनकी सालाना कमाई Rs. 8 लाख तक हो, जिनके पास 5 एकड़ तक कृषि भूमि हो, 1000 स्क्वायर फीट से बड़ा घर न हो और अधिसूचित जमीन 100 गज से कम हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह दायरा व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इसके प्रभाव में देश की लगभग 98 प्रतिशत आबादी आती है।
समय पर सवाल
मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक?
इससे पहले गुजरात पहला ऐसा राज्य बन गया जिसने सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने रविवार को ही यह नियम लागू कर दिया था।
बता दें कि सवर्ण गरीबों को आरक्षण के इस दांव को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है।
आरक्षण का विरोध तो विपक्षी दलों ने भी नहीं किया, लेकिन वह इसके समय और प्रभाव पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।