महाराष्ट्रः मराठों को शिक्षा और नौकरी में मिलेगा 16 फीसदी आरक्षण, विधानसभा में प्रस्ताव पास
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछड़ा आयोग की सिफारिश के आधार पर नौकरी और शिक्षा में 16 फीसदी मराठा आरक्षण का बिल विधानसभा में पेश किया, जो ध्वनिमत से पास हो गया। इसके बाद विधान परिषद से भी यह बिल पारित हो गया। माना जा रहा है कि सरकार कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर 5 दिसंबर से इसे लागू करना चाहती है।
1980 के दशक से लंबित थी आरक्षण की मांग
महाराष्ट्र में मराठों की आबादी 30 फीसदी है। इनमें से 76 फीसदी खेती-किसानी और मजदूरी के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं छह प्रतिशत लोग सरकारी-अर्ध सरकारी नौकरियों में हैं। राज्य में मराठों को आरक्षण दिए जाने की मांग साल 1980 के दशक से लंबित थी। इस मांग को लेकर कई बार हिंसक प्रदर्शन भी हुए। कई सालों तक प्रदर्शन भी किए गए। साल 2016 से महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग को लेकर 58 मार्च निकाले गए थे।
पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशें
मराठों को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेशों पर पिछड़ा वर्ग आयोग को रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी। आयोग ने 25 विभिन्न मानकों पर 43,000 मराठा परिवारों के पिछड़ा होने की स्थिति का अध्ययन किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना कि मराठा समुदाय सामाजिक तौर पर और शिक्षा में पिछड़ा है। इसके बाद कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। मराठा समुदाय को सोशल एंड इकनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (SEBC) में आरक्षण दिया जाएगा।
राज्य में कुल आरक्षण 68 फीसदी
इससे पहले सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिली थी, जिसमें तीन सिफारिशें की गई थी। उन्होंने कहा कि हमने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इन पर अमल के लिए एक कैबिनेट सब कमिटी बनाई गई है। माना जा रहा है कि सरकार 1 दिसंबर को इसका औपचारिक ऐलान कर सकती है। अभी राज्य में सारी श्रेणियों को मिलाकर कुल 68 फीसदी आरक्षण हो गया है।