सवर्णों को आरक्षणः सरकार का मास्टरस्ट्रोक, आज संसद में पेश होगा संविधान संशोधन बिल

केंद्र सरकार आज संसद में सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन बिल पेश करेगी। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सासंदों को व्हिप जारी किया है। कांग्रेस ने भी इसके लिए अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया था। लोकसभा चुनाव से पहले संसद के आखिरी शीतकालीन सत्र में सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगा सकती है। कल केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। इसलिए सरकार आज ही लोकसभा और राज्यसभा से इस बिल को पारित कराने की कोशिश में है। हालांकि सरकार शीतकालीन सत्र को आगे बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। यह पूरा सत्र विपक्ष के हंगामे के बीच गुजरा है। ऐसे में देखना होगा कि विपक्ष का इस बिल को लेकर क्या रवैया रहता है। लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसे अन्य दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के प्रस्ताव का विरोध कोई भी पार्टी खुलकर नहीं कर रही है। हालांकि, विपक्षी दल इस फैसले के समय को लेकर जरूर सवाल उठा रहे हैं । कांग्रेस ने कहा है कि वो इस फैसले का समर्थन करेगी। वहीं दूसरी पार्टियों ने भी इसे लेकर अपना विरोध नहीं जताया है। इसकी एक वजह यह भी है कि कई पार्टियां पहले भी गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग कर चुकी हैं।
सरकार ने चुनावों से पहले बड़ा फैसला लेते हुए गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया है। इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इसके लिए सरकार की तरफ से कुछ शर्तें रखी गई हैं। जैसे- जिन लोगों की सालाना आय 8 लाख से कम हैं और जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम की खेती की जमीन हो आदि।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती। इसके तहत सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण दिया जाता है। सवर्णों को मिलने वाला आरक्षण इस 50 फीसदी से अलग होगा। इसके लिए सरकार संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव करेगी। इसके बाद सवर्णों को आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा।
अभी तक पूरे देश में तमिलनाडु ही एक ऐसा राज्य है, जहां 50 फीसदी से ज़्यादा आरक्षण देने का प्रावधान है। राज्य में 68 प्रतिशत आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है, इसलिए संसद ने इसे अनुसूची 9 में डलवा दिया है।
अगर सरकार यह फैसला लागू करती है तो अभी तक सामान्य श्रेणी में आने वाली जातियां भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंंगी। इस फैसले का लाभ हिंदुओं के अलावा मुस्लिम और ईसाई लोगों को भी मिलेगा। उदाहरण के लिए अगर कोई मुस्लिम या ईसाई सामान्य श्रेणी में हैं और वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसे भी इस आरक्षण का फायदा मिलेगा। इससे लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे समुदायों को भी फायदा मिलेगा।
इस आरक्षण का फायदा उन लोगों को मिलेगा- - जिनके पास 1,000 स्क्वेयर फीट से कम का घर हो। - जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो। - जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो। - जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते हो। - जिनकी सालाना आय Rs. 8 लाख से कम हो।
पिछले कुछ समय में पटेल, मराठा और जाट आदि समुदायों ने आरक्षण की मांग को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किए थे। वहीं SC/ST एक्ट को लेकर भी सरकार के फैसले के बाद सवर्णों में नाराजगी थी। हाल ही में हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के दौरान यह बात सामने आई थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने सवर्ण मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए यह मास्टरस्ट्रोक खेला है।