सीट बंटवारे से नाराज उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा को 30 नवंबर तक का दिया अल्टीमेटम
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मचा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। बिहार में सीट बंटवारे से नाराज चल रहे केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी को 30 नवंबर तक का अंतिम निर्णय लेने का समय दिया है। पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कुशवाहा में कहा कि सीट बंटवारे पर वो बीजेपी की पेशकश से खुश नहीं है।
बीजेपी का प्रस्ताव सम्मानजनक नहीं- कुशवाहा
पटना में आयोजित बैठक में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा आर-पार के मूड में दिखे। कुशवाहा ने साफ कहा कि बीजेपी ने पार्टी को सम्मानजनक सीटें नहीं दी है। उन्हें बीजेपी का प्रस्ताव मंजूर नहीं है। कुशवाहा ने आगे कहा कि सीट बंटवारे पर बीजेपी से बातचीत की जा रही है। भाजपा को 30 नवंबर से पहले अंतिम निर्णय लेना होगा। बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जदयू बराबर सीटों पर लड़ने की सहमति जता चुके है।
अमित शाह ने नहीं दिया मिलने का वक्त- कुशवाहा
बैठक में कुशवाहा ने कहा कि अमित शाह ने मुझे मिलने का वक्त नहीं दिया। अब मैं प्रधानमंत्री मोदी को छोड़ कर भाजपा के किसी भी नेता से नहीं मिलूंगा। गौरतलब हो कि शुक्रवार को कुशवाहा भाजपा अध्यक्ष से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। कुशवाहा ने आगे कहा कि वो एनडीए में रहना चाहते है, लेकिन कुछ लोग है जो एनडीए में फूट डाल कर नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम नहीं बनने देना चाहते हैं।
नीतीश कुमार पर जमकर साधा निशाना
कार्यकारिणी की बैठक में उपेंद्र कुशवाहा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज दिखे। कुशवाहा ने नीतीश पर रालोसपा को तोड़ने के लिए गलत हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया। हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में नीतीश ने उपेंद्र कुशवाह पर पूछे गए सवाल को नीच बताया था। जिस पर बिहार में जमकर बवाल मचा था। इस बैैठक से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से निष्काषित पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव से भी मुलाकात की थी।
सीट बंटवारे पर जारी विवाद की वजह
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा, लोजपा और रालोसपा ने एक साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा था। तब जदयू, राजद औऱ कांग्रेस एक साथ विरोधी खेमे में थी। लेकिन अब जदयू के एनडीए में आने के बाद रालोसपा को पहले जैसा महत्व नहीं दिया जा रहा है। पिछले आम चुनाव में रालोसपा चार सीटों पर जीती थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार इस बार भाजपा उसे दो सीट ही दे रही है। जबकि रालोसपा चार सीट मांग रही है।