कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करें राज्य सरकारें- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
देश में चल रही कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने सैकड़ों बच्चों को अनाथ कर दिया है।
इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की तथा राज्यों को अनाथ हुए बच्चों को तत्काल राहत पहुंचाने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी ने एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है। बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया हैं। ऐसे में उनकी जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
प्रकरण
एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने दायर की थी याचिका
बता दें कि महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों और बालं संरक्षण केंद्रों में बच्चों में फैलते कोरोना संक्रमण को लेकर एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने चायिका दायर की थी।
उन्होंने याचिका में राज्य सरकारों द्वारा अनाथ बच्चों की पहचान कर उन्हें तत्काल राहत मुहैया कराने का आदेश देने का अनुरोध किया था।
इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से बाल संरक्षण केंद्रों में बच्चों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए भी पर्याप्त कदम उठाने की मांग की थी।
सुनवाई
कमजोर बच्चों पर पड़ा महामारी का व्यापक प्रभाव- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, "कोरोना महामारी ने एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है और कमजोर बच्चों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। अधिकारियों को उन बच्चों की पहचान करनी चाहिए जो महामारी के कारण या अन्यथा अनाथ हो गए थे और उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाए।"
कोर्ट ने कहा कि जरूरतमंद बच्चों का ध्यान रखते हुए उनकी पीड़ा को समझें और जरूरतों को तुरंत पूरा करें।
जानकारी
अनाथ हुए बच्चों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करें जिलाधिकारी- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को शनिवार शाम तक ऐसे बच्चों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया, जो मार्च 2020 के बाद से अनाथ हुए हैं।
इसके अलावा कोर्ट ने अनाथ बच्चों अधिकारों की रक्षा और बिना सरकारी आदेश के भी उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने राज्यों से कहा कि यदि वह बच्चों की पीड़ा को समझेंगे और तुरंत स्थिति का समाधान हो जाएगा।
जानकारी
अनाथ हुए बच्चों को पहचान के लिए दिए जा रहे हैं पासवर्ड
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि बालस्वराज नाम का पोर्टल सभी संबंधित जिलाधिकारियों की तरफ से संचालित किया जा रहा है और उन्हें ऐसे बच्चों की पहचान के लिए पासवर्ड दिया गया है जो अनाथ हो गए हैं।
गौरव अग्रवाल ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस समिति के पास एक बच्चे को पालक देखभाल देने का अधिकार है, इसके बारे में केंद्र की तरफ से 2016 में नियम पारित किया गया था।
जानकारी
55 दिन में हुए 577 बच्चे अनाथ
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गत दिनों बताया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल से 25 मई के बीच 55 दिनों में कुल 577 बच्चे अपने माता-पिता को खोने के कारण अनाथ हो गए।
पहल
कई राज्यों ने उठाया अनाथ बच्चों की परवरिश को लेकर कदम
बता दें कि सबसे पहले दिल्ली सरकार ने महामारी में अनाथ हुए बच्चों की परवरिश के लिए कदम उठाया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अनाथ हुए बच्चों को 25 साल की उम्र पर 2,500 रुपये प्रतिमाह देने तथा शिक्षा और परवरिश का खर्च उठाने की घोषणा की थी।
इसी तरह केरल सरकार ने तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद तथा बच्चों के 18 साल की उम्र तक 2,000 रुपये महीना देने और मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की है।
जानकारी
उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ सरकार ने भी की है घोषणा
उत्तराखंड सरकार ने अनाथ बच्चों को 21 साल की उम्र तक 3,000 रुपये महीना और सरकारी नौकरी में पांच प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है। इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने भी आर्थिक सहायता था बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने का ऐलान किया है।
संक्रमण
देश में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,86,364 नए मामले सामने आए और 3,660 मरीजों की मौत हुई। इस सप्ताह यह दूसरी बार है, जब दो लाख से कम दैनिक मामले सामने आए हैं।
इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,75,55,457 हो गई है। इनमें से 3,18,895 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 23,43,152 रह गई है।