फिर आमने-सामने केंद्र और दिल्ली सरकार, सिसोदिया बोले- पिछले दरवाजे से शासन करना चाहती है भाजपा
केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार एक बार फिर से आमने-सामने हैं और इस बार इसका कारण बना है उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने वाला केंद्र सरकार का एक विधेयक। इस विधेयक का विरोध करते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए केंद्र की भाजपा सरकार पिछले दरवाजे से दिल्ली पर शासन करना चाहती है और इससे सारी शक्तियां उपराज्यपाल के हाथों में चली जाएंगी।
क्या है केंद्र सरकार का विवादित विधेयक?
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करने वाले एक विधेयक को मंजूरी दी थी। इन संशोधनों के जरिए दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां दी गई हैं और दिल्ली सरकार को कोई भी फैसला लेने से पहले तय समय के अंदर उनसे मंजूरी लेनी होगी। संशोधनों के मुताबिक, दिल्ली सरकार को विधायी प्रस्तावों को 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्तावों को सात दिन पहले उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजना होगा।
सिसोदिया बोले- दिल्ली सरकार के काम रोक सकेंगे उपराज्यपाल
हालांकि केंद्र सरकार के ये संशोधन दिल्ली सरकार को पसंद नहीं आए और मनीष सिसोदिया ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनकर उन्हें उपराज्यपाल को देने का काम किया है। केंद्र सरकार उपराज्यपाल को इतनी शक्ति देने जा रही है कि वो अब दिल्ली सरकार के काम रोक सकेंगे। दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास कोई फैसला लेने की शक्ति नहीं होगी।"
केंद्र सरकार ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार- सिसोदिया
भाजपा पर हमला करते हुए सिसोदिया ने कहा, "उपराज्यपाल का मतलब है केंद्र की भाजपा सरकार। केंद्र सरकार का यह कदम लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ होने के साथ-साथ संविधान के भी खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी कहता है कि सिर्फ तीन मुद्दों को छोड़कर बाकी सभी निर्णय दिल्ली की सरकार ले सकती है। लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी दरकिनार कर दिया है। भाजपा पिछले दरवाजे से दिल्ली पर शासन करना चाहती है।"
सिसोदिया बोले- गोपनीय तरीके से किए गए बदलाव
सिसोदिया ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले भाजपा दिल्ली सरकार के हर काम को रोक रही थी और कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली में धड़ाधड़ काम हुआ। उन्होंने कहा, "भाजपा साजिश के तहत दिल्ली की जनता की मर्जी के खिलाफ पिछले दरवाजे से दिल्ली पर कब्जा करना चाहती है। ये बदलाव गोपनीय तरीके से हुए हैं।" उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले का पूरा अध्ययन करने के बाद दिल्ली सरकार आगे कोई कदम उठाएगी।
शक्तियों के बंटवारे को लेकर पहले भी आमने-सामने आ चुकी हैं दोनों सरकारें
बता दें कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की पहले भी कई बार शक्तियों के बंटवारे को लेकर आमने-सामने आ चुकी हैं। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था और जुलाई, 2018 में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल केवल पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि से संबंधित मसलों पर खुद से फैसला ले सकते हैं और बाकी विषयों पर दिल्ली सरकार की सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं।