दिल्ली: दाह संस्कार में लकड़ियों की जगह इस्तेमाल होंगे गाय के गोबर के उपले
क्या है खबर?
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) के अधीन आने वाले श्मशान घाटों में अब दाह संस्कार में लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपलों का उपयोग किया जाएगा।
पर्यावरण को मजबूती देने तथा लकड़ियों की खपत को कम करने के लिए SDMC की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
ऐसे में अब SDMC के तहत आने वाले श्मशान घाटों को इस आदेश की पालना करनी होगी और उपलों की व्यवस्था करनी होगी।
बयान
लकड़ी के आकार के उपलों की व्यवस्था के दिए निर्देश- मेयर
इंडिया टुडे के अनुसार दक्षिणी दिल्ली की मेयर अनामिका ने कहा कि SDMC की बैठक में श्मशान घाटों में लकड़ियों की जगह गाय के गोबर से बने उपलों के उपयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
उन्होंने कहा कि अब तक श्मशान घाटों में लकड़ी, उपले और पराली का प्रबंध रहता है, लेकिन उपलों के छोटे होने से लोग लकड़ियों के इस्तेमाल को तवज्जो देते हैं। अब लकड़ियों के आकार के उपलों का प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं।
लाभ
महज तीन घंटे में पूरा हो जाएगा अंतिम संस्कार- अनामिका
मेयर अनामिका ने कहा कि वर्तमान में चिता को जलाने के लिए एक क्विंटल से अधिक लकड़ी लग जाती है। इससे पर्यावरण को भी हानि पहुंचती है।
उन्होंने कहा कि लकड़ी से अंतिम संस्कार करने में लगभग पाँच से छह घंटे का समय लगता है, लेकिन उपलों के उपयोग के बाद महज तीन घंटे में ही अंतिम संस्कार पूरा जाएगा। इससे लोगों का समय भी बचेगा और लकड़ियों की खपत कम होने से पर्यावरण को भी मजबूती मिलेगी।
कारण
एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में करता है औसतन 20 पेड़ों का उपयोग
मेयर अनामिका ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में औसतन 20 पेड़ों का उपयोग करता है। इसके बाद उसके दाह संस्कार में भी बहुत अधिक लकड़ियों की जरूरत होती है। ऐसे में पेड़ों को बचाने के लिए दाह संस्कार में लकड़ियों के आकार के गाय के गोबर से बने उपलो का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव पास किया गया है।
उन्होंने कहा कि लोगों की सुविधा के लिए गाय के गोबर से बड़े उपलों का निर्माण कराया जाएगा।
लागत
लकड़ी की तुलना में कम आए उपलों की लागत- अनामिका
मेयर अनामिका ने कहा कि लकड़ी के लट्ठों की तुलना में गाय के गोबर से बने उपलों की लागत बहुत कम आएगी। ऐसे में यह फैसला आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इसके अलावा गाय के गोबर का बड़ा सांस्कृतिक महत्व भी है।
उन्होंने कहा कि कुछ सामाजिक संगठनों ने इसके लिए अपना समर्थन दिया है। श्मशान घाटों में लोगों को जल्द से जल्द इस सुविधा का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।