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लोन मोरेटोरियम की अवधि में पूरी तरह ब्‍याज माफ करना संभव नहीं- सुप्रीम कोर्ट

लोन मोरेटोरियम की अवधि में पूरी तरह ब्‍याज माफ करना संभव नहीं- सुप्रीम कोर्ट

Mar 23, 2021
01:26 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कोरोना माहामारी के दौरान छह महीने के ऋण स्थगन की अवधि यानी ऋण मोरेटोरियम मामले में मंगलवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि लोन मोरेटोरियम अवधि में पूरी तरह से ब्याज माफ करना संभव नहीं है। कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि का विस्तार करने से भी इनकार कर दिया। इससे अब रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों के व्यावसायिक संगठनों को बड़ा झटका लगा है।

प्रकरण

रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों ने दायर की थी याचिका

पिछले साल कोरोना महामारी में लागू किए गए लॉकडाउन से उद्योग धंधे चौपट हो गए थे। इसको लेकर रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारिक संगठनों ने बैंकों से लिए गए ऋण पर पूरी तरह से ब्याज माफ करने और लोन मोरेटोरियम अवधि के विस्तार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

फैसला

ऋण पर पूर्ण ब्याज माफी संभव नहीं- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एमआर शाह और संजीव खन्‍ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंकों के लिए छह महीने की ऋण स्थगन अवधि में पूरी तरह से ब्याज माफ करना संभव नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार और बैंकों के लिए मोरेटोरियम अवधि बढ़ाना और किसी खास सेक्टर को राहत देना संभव नहीं है। इसी तरह शीर्ष अदालत ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ऋण स्थगन नीति में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के पीछे दिया यह तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को लेकर तर्क देते हुए कहा कि बैंकों को अपने शेयरधारकों, जमाकर्ताओं और खाताधारकों को भी जमा राशि पर ब्याज देना पड़ता है। ऐसे में ऋण पर पूर्ण ब्याज माफी संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर निर्णय और किसी विशेष स्थिति में वित्तीय राहत पैकेज बनाने का काम सरकार और RBI का है। ऐसे में किसी खास वित्तीय पैकेज के संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।

जानकारी

नहीं वसूला जा सकेगा ब्याज पर ब्याज- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऋण मोरेटोरियम की अवधि के दौरान ब्‍याज पर ब्‍याज नहीं वसूला जाएगा। अगर ब्‍याज पर ब्‍याज वसूला गया है तो उसे अगली EMI में समायोजित किया जाएगा। जानबूझकर डिफॉल्‍ट करने के मामले में चक्रवृद्ध‍ि ब्‍याज वसूला जाएगा।

पिछली सुनवाई

सभी वर्गों को ब्याज माफी देने पर आएगा छह लाख करोड़ का भार- केंद्र

बता दें कि पिछली सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट को बताया था कि रिजर्व बैंक की ओर से छह महीने के लिए लोन मोरेटोरियम के तहत सभी वर्गों को अगर ब्याज माफी का लाभ दिया जाता है तो इस मद पर छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम छोड़नी पड़ सकती है। केंद्र ने कहा था इसके कारण बैंकों को अपनी कुल शुद्ध परिसंपत्ति का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ेगा। इससे ज्‍यादा कर्ज देने वाले बैंकों को बड़ा नुकसान होगा।

पृष्ठभूमि

RBI ने की थी छह महीने के मोरेटोरियम की घोषणा

बता दें RBI ने 27 मार्च 2020 को 1 मार्च से 31 मई 2020 के दौरान ऋण की किस्‍तें वसूलने पर मोरेटोरियम दिया था। लॉकडाउन के चलते बाद में यह अवधि बढ़ाकर 31 अगस्‍त की गई थी। केंद्रीय बैंक ने बैंकों को एकबारगी लोन स्‍ट्रक्‍चरिंग का विकल्‍प भी दिया था। इसके लिए उन्‍हें ऐसे कर्ज को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित करने से मना किया गया था। हालांकि, बाद में कुछ व्यापारिक संगठनों ने अवधि को बढ़ाने की मांग की थी।