DRDO की एंटी-कोविड दवा के एक पाउच की कीमत 990 रुपये, सरकारी अस्पतालों को मिलेगा डिस्काउंट
फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लैब ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर तैयार की एंटी-कोविड दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) की कीमतों का ऐलान कर दिया है। कंपनी ने बताया कि इसके एक पाउच की कीमत 990 रुपये होगी और सरकारी अस्पतालों को यह दवा डिस्काउंट पर दी जाएगी। अभी इसे केवल चुनिंदा अस्पतालों में भेजा गया है। कंपनी का कहना है कि अगले महीने की शुरुआत में इसे कमर्शियली लॉन्च किया जाएगा।
डॉ रेड्डीज लैब और DRDO ने विकसित की है दवा
DRDO की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (INMAS) ने हैदराबाद स्थित कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर 2-DG को विकसित किया है। लैब में हुए शुरूआती परीक्षण में पाया गया था कि यह दवा में शामिल एक पदार्थ SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करता है और वायरस की वृद्धि को रोकता है। इसी आधार पर DRDO को पिछले साल मई में इसका इंसानी ट्रायल करने की मंजूरी मिली थी।
कई राज्यों ने की दवा की मांग- राजनाथ सिंह
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल कहा था कि इस दवा के 10,000 पाउच आज से बाजार में उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा था, "यह सकारात्मक परिणाम दे रही है। कई राज्यों ने 2-DG की मांग की है। मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि इस दवा के 10,000 पाउच आज से बाजार में आ रहे हैं।" सिंह ने 17 मई को स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के साथ इस दवा के पहले बैच को जारी किया था।
AIIMS और सैन्य अस्पतालों में भेजा गया पहला बैच
DRDO प्रमुख डॉ जी सतीश रेड्डी ने बताया था कि इस दवा का पहला बैच केवल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), सैन्य बलों और DRDO के अस्पतालों में भेजा जाएगा। बाकी अस्पतालों में यह दवा जून में भेजी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया था कि यह दवा कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी पाई गई है। यह दवा अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों की जल्दी ठीक होने में मदद करती है।
दवा से है बेहद आस
कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत में इस दवा से काफी उम्मीद है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह दवा गेम चेंजर साबित हो सकती है।
क्या रहे थे ट्रायल के नतीजे?
DRDO और डॉ रेड्डीज ने मई से मार्च, 2021 के बीच कई राज्यों के लगभग 330 लोगों पर दवा का ट्रायल किया था। ट्रायल में जिन मरीजों को 2-DG दवा दी गई, उनमें से 42 प्रतिशत मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन खत्म हो गई थी। वहीं जिन्हें यह दवा नहीं दी गई, उनमें यह आंकड़ा 31 प्रतिशत रहा। मरीजों के अस्पताल में रहने की अवधि को भी घटाया और यह गंभीर और बुजुर्ग मरीजों पर भी कारगर रही।
किस तरह से काम करती है दवा?
DRDO के अनुसार, यह दवा पाउडर के रूप में आती है जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरस का मेटाबॉलिक रिएक्शन और एनर्जी प्रोडक्शन रोककर इसे बढ़ने से रोकती है। इस दवा की खास बात यह है कि यह केवल वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में ही जमा होती है। इसका सहायक दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा और मरीज को एक दिन में इसके दो पाउच पीने होंगे।