JNU देशद्रोह मामला: कन्हैया समेत 10 आरोपियों के खिलाफ चलेगा मुकदमा, 15 मार्च को पेशी

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ अब देशद्रोह का मुकदमा चलेगा। दिल्ली की एक अदालत ने इन आरोपियों को समन जारी कर 15 मार्च को पेशी के लिए तलब किया है। इन पर JNU में देश-विरोधी नारे लगाने के आरोप है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल फरवरी में कन्हैया समेत बाकी आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने की स्वीकृति दी थी। सोमवार को अदालत ने इनके खिलाफ चार्जशीट का संज्ञान लिया है।
9 फरवरी, 2016 को JNU में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। JNU प्रशासन ने इस कार्यक्रम को मंजूरी देने से इनकार किया था, जिसके बाद छात्रों के दो गुट आपस में भिड़ गए। आरोपों के अनुसार, इस दौरान कुछ छात्रों ने देशविरोधी नारे लगाए थे। तब इस मामले में JNU छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद आदि छात्रों को गिरफ्तार किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने अदालत में दायर लगभग 1,200 पन्नों वाली अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि कन्हैया कुमार ने यूनिवर्सिटी में एक जलसे का नेतृत्व किया और अन्य आरोपियों के साथ देश-विरोधी नारों का समर्थन किया था। चार्जशीट में कन्हैया कुमार के साथ-साथ उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, अकीब हुसैन, मुजीब हुसैन गट्टू, मुनीब हुसैन गट्टू, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली और खालिद बशीर भट्ट का नाम बतौर आरोपी शामिल किया गया है।
पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डॉ पंकज शर्मा ने सोमवार को चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए कहा कि गृह विभाग पहले ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे चुका है। चार्जशीट को गंभीरता से देखने के बाद सभी आरोपियों को मुकदमे का सामना करने के लिए समन भेजा गया है। उन्हें 15 मार्च, 2021 को तलब किया गया है। बता दें, दिल्ली सरकार ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देने में काफी समय लगाया था।
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (देशद्रोह), 323, 465, 471, 143, 149, 147 और 120B के तहत आरोप लगाए गए हैं। ये धाराएं जालसाजी, दंगा करने, आपराधिक साजिश आदि से संबंधित है। चूंकि इस मामले में देशद्रोह की धारा लगी हुई है, इसलिए इसके तहत आरोप तय करने से पहले सक्षम प्राधिकारी (इस मामले में दिल्ली सरकार) से मंजूरी लेनी होती है। अगर मंजूरी नहीं मिलती तो अदालत इस धारा पर आपत्ति जता सकती है।
दिल्ली सरकार ने कन्हैया समते बाकी आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने में काफी समय लगाया था। पहले सरकार इसे मंजूरी न देने के पक्ष में थी। हालांकि, बाद में पिछले साल फरवरी में अपना रूख बदलते हुए केजरीवाल सरकार ने आरोपियों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी थी। इस बीच भाजपा ने कई बार आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोपियों का बचाव करने का आरोप लगाया था।