राज्यपालों के खिलाफ तमिलनाडु और केरल सरकार की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट 20 नवंबर को तमिलनाडु और केरल सरकार की 2 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों द्वारा देरी करने का आरोप लगाया गया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। तमिलनाडु सरकार की याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसे 'गंभीर चिंता का विषय' बताया था।
कोर्ट ने जारी किया था केंद्र सरकार को नोटिस
10 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मुद्दे को सुलझाने में अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहायता मांगी थी। कोर्ट ने कहा था, "याचिका में जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे गंभीर चिंता का विषय हैं। अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को प्रस्तुत किए गए लगभग 12 विधेयकों को लागू नहीं किया गया है।"
तमिलनाडु और केरल सरकार ने क्यों किया है कोर्ट का रुख?
केरल की सरकार ने कहा है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी सहमति देने में देरी कर रहे हैं, जो 'लोगों के अधिकारों की हार' है। दूसरी ओर, तमिलनाडु सरकार ने भी इसी तरह के आरोप राज्यपाल पर लगाए हैं। सरकार ने कहा कि राज्यपाल 'बाहरी दबाव' के चलते लगातार असंवैधानिक तरीके से काम कर रहे हैं और राज्य सरकार के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं।
दोनों राज्यों में राज्यपाल के पास कितने विधेयक लंबित हैं?
तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित किए गए 12 विधेयक राज्यपाल के पास लंबित हैं। इनमें से 10 विधेयकों को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दोबारा पारित किया गया है। दूसरी ओर, केरल सरकार का दावा है कि राज्यपाल के पास 8 विधेयक लंबित हैं। इनमें से 3 एक साल से ज्यादा और 3 दो साल से ज्यादा समय से लंबित हैं। सरकार का कहना है कि राज्यपाल ऐसा कर लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ अन्याय कर रही है।
न्यूजबाइट्स प्लस
तमिलनाडु और केरल के अलावा पंजाब सरकार का भी राज्यपाल से विवाद चल रहा है। 20-21 अक्टूबर को पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को राज्यपाल ने असंवैधानिक बताया था। इससे पहले सरकारी हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल को लेकर भी मुख्यमंत्री-राज्यपाल के बीच विवाद हुआ था। लगातार विवादों के बीच पंजाब की सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्यपाल को फटकार लगाते हुए कहा था कि वे आग से खेल रहे हैं।