सनातन विवाद पर बोला मद्रास हाई कोर्ट- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब नफरती भाषण देना नहीं
सनातन धर्म को लेकर द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने भी अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब नफरती भाषण देना नहीं है। कोर्ट ने कहा, "धर्म से संबंधित मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कोई भी आहत न हो।"
कोर्ट ने क्या कहा?
मद्रास हाई कोर्ट ने कहा, "जब धर्म से संबंधित मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कोई भी आहत न हो। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वतंत्र भाषण का मतलब नफरती भाषण देना नहीं है। भाषण देने वाले को इन पहलुओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा किया गया तो बहस की दिशा पटरी से उतर जाएगी और उद्देश्य खो देगी।"
कोर्ट ने समझाया सनातन धर्म का मतलब
कोर्ट ने कहा कि आम तौर पर सनातन धर्म को 'शाश्वत कर्तव्यों' के एक समूह के रूप में समझा जाता है और इसे विशिष्ट साहित्य में नहीं खोजा जा सकता। कोर्ट ने कहा, "इसमें राष्ट्र, राजा, राजा का अपनी प्रजा, माता-पिता, गुरु और गरीबों की देखभाल जैसे कर्तव्य शामिल हैं। सनातन धर्म के विरोध का अर्थ ये होगा कि ये सभी कर्तव्य नष्ट होने योग्य थे। क्या एक नागरिक को अपने देश से प्यार नहीं करना चाहिए?"
छूआछूत और जातिवाद पर क्या बोला कोर्ट?
सनातन धर्म में जातिवाद और छूआछूत को बढ़ावा देने के आरोप लगते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, "देश में छूआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। भले ही इसे 'सनातन धर्म' के सिद्धांतों के भीतर कहीं अनुमति के रूप में देखा जाता हो। संविधान के अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता को खत्म करने की घोषणा की गई है। सनातन के भीतर या बाहर, अस्पृश्यता संवैधानिक नहीं हो सकती। हालांकि, दुख की बात है कि यह अभी भी मौजूद है।''
क्या है मामला?
दरअसल, तमिलनाडु के थिरूवरूर स्थित थिरु वी का शासकीय कला महाविद्यालय की प्राचार्या ने पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुराई की जयंती को लेकर एक नोटिस जारी किया था। इसमें उन्होंने महाविद्यालय की छात्राओं से 'सनातन का विरोध' विषय पर अपने विचार साझा करने का आग्रह किया था। इस नोटिस के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन शेषशायी ने ये टिप्पणियां की हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
सनातन धर्म पर विवाद की शुरुआत DMK नेता उदयनिधि के बयान के बाद हुई थी। उन्होंने कहा था, "हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोनावायरस का विरोध नहीं कर सकते हैं। हमें इन्हें खत्म करना होगा। इसी तरह हमें सनातन धर्म को भी खत्म करना है।" इसके बाद DMK के दूसरे नेताओं ने भी सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके खिलाफ भाजपा के कई नेताओं ने विपक्ष को हिंदू विरोधी बताते हुए इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।