
पंजाब: फिर आमने-सामने मुख्यमंत्री और राज्यपाल, सरकार के विधानसभा सत्र को पुरोहित ने बताया गैरकानूनी
क्या है खबर?
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बार फिर आमने-सामने हैं। इस बार विवाद विधानसभा सत्र को लेकर है।
दरअसल, 20 और 21 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मान ने पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाया है। इस पर राज्यपाल पुरोहित ने एतराज जताया है।
राजभवन की तरफ से पंजाब सरकार को भेजे गए एक पत्र में कहा गया है कि अगर विधानसभा का सत्र बुलाया जाता है तो वो गैरकानूनी होगा।
मामला
क्या है मामला?
दरअसल, पंजाब सरकार ने मार्च महीने में बजट सत्र बुलाया था, जिसे अभी तक खत्म नहीं किया गया है। सरकार ने 19 और 20 जून को इसी सत्र की बैठक बुलाई थी, जिसमें 4 विधेयक भी पारित किए गए थे।
अब एक बार फिर 20 और 21 अक्टूबर को इसी बजट सत्र की एक और बैठक बुलाई गई है। इस बारे में पंजाब सरकार ने 10 अक्टूबर को राज्यपाल को सूचित किया था।
पत्र
राज्यपाल ने क्या कहा?
राज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी पत्र में सत्र को लेकर पहले उठाई गई आपत्तियों का जिक्र किया गया है।
पत्र में लिखा है, "कानूनी सलाह के आधार पर, राज्यपाल ने 24 जुलाई को बताया था कि इस तरह का सत्र बुलाना अवैध है। 24 जुलाई के पत्र में बताए गए कारणों के मद्देनजर, ऐसा कोई भी विस्तारित सत्र अवैध है और ऐसे सत्रों के दौरान किया गया कोई भी कामकाज गैरकानूनी और शून्य है।"
वजह
पंजाब सरकार ने क्यों बुलाया सत्र?
पंजाब सरकार ने सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 2 दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाया है।
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने नहर को पूरा करने के लिए कोई समाधान नहीं ढूंढने पर पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इसे लेकर सरकार विरोधी पार्टियों के निशाने पर है।
कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल इस मुद्दे पर हमलावर हैं और मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर चुके हैं।
विवाद
पंजाब में कई मुद्दों पर राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच ठनी
पंजाब के मुख्यमंत्री और राज्यपाल कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।
अगस्त में राज्यपाल ने पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी दे दी थी।
जून में विधानसभा के विशेष सत्र में पारित हुए 4 विधेयकों को राज्यपाल ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
सरकारी हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल को लेकर भी मुख्यमंत्री-राज्यपाल के बीच विवाद हुआ है।
राज्यपाल ने विधानसभा के बजट सत्र को भी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
सतलज यमुना लिंक का विवाद दशकों पुराना है। 1981 में पंजाब और हरियाणा सतलज को यमुना से जोड़ने वाली इस नहर की योजना पर सहमत हुए थे।
1982 में इस लिंक का निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो 1991 तक पूरा होना था। हरियाणा ने 1996 में इसका काम पूरा कर लिया, लेकिन शुरुआती चरण के बाद ही पंजाब ने ये कहते हुए काम दिया कि सतलज में यमुना को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।